भारतीय रेलवे में सफर के दौरान यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल चर्चा में बने हुए हैं। संसद में रेल मंत्री से पूछा गया था कि यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल कितने दिनों में धोए जाते हैं। इसके जवाब में रेल मंत्री ने कहा था कि यात्रियों को मिलने वाले कंबल महीने में कम से कम एक बार धोए जाते हैं। वहीं, चादर और तकिये का कवर रोजाना धोया जाता है। इसके बाद उत्तर रेलवे के अधिकारी ने इस बारे में विस्तार से जवाब दिया है।
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर ने बताया कि राजधानी ट्रेन में इस्तेमाल किए जाने वाले कंबल (लेनीन) 15 दिन में एक बार धोए जाते हैं। 2010 से पहले भारतीय रेलवे में जो कंबल दिए जाते थे। वह 3 महीने में एक बार धुलते थे। मगर 2014 से 2024 के बीच में अंतराल को कम किया गया। अभी कुछ समय तक लेनिन को एक महीने मे एक बार धोया जाता है। मगर अब हाई क्वाल्टी लेनीन को 15 दिनों में एक बार धोया जा रहा है।
यू वी रेज से होती है सफाई
जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि उत्तर रेलवे में यू वी रेज के जरिए सफाई की जा रही है। जो चादर और तकिया कवर ट्रेन में दिया जाता है। उसे एक बार इस्तेमाल के बाद धोया जाता है। भारतीय रेलवे पूरे भारत में 6 लाख से ज्यादा कम्बल एक दिन में यात्रियों को मुहैया कराता है। नॉर्दर्न रेलवे में 1 लाख कम्बल, बेड रोल एक दिन में यात्रियों को दिए जाते हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि यूवी रेज रोबोटिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से अब हर राउंड के बाद कंबल साफ किए जाएंगे।
डिब्रूगढ़ और जम्मू राजधानी ट्रेन में पायलट प्रोजेक्ट
हिमांशु शेखर ने बताया कैसे अब पायलट प्रोजेक्ट मे यू वी रेज से इन कंबलों को धोया जा रहा है। रांची राजधानी में अच्छी क़्वालिटी की लेनिन प्रोवाइड की जा रही है। अभी एक महीने में एक बार लेनिन को साफ किया जा रहा था। अब 15 दिन में साफ हो रहे हैं। इसके साथ ही कंबलों को नैप्थलीन बॉल्स एयर वैपूरेशन से साफ भी किया जाता है। फिलहाल एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत डिब्रूगढ़ और जम्मू राजधानी ट्रेन में यूवी रेज के जरिए लेनिन को साफ किया जा रहा है।
(अनामिका गौर की रिपोर्ट)