श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को कश्मीरी पंडित समुदाय के एक व्यक्ति की आतंकवादियों द्वारा गोली मार कर हत्या किए जाने की निंदा की और कहा कि उनके प्रशासन ने आतंकवादियों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को खुली छूट दी है। शिवसेना(यूबीटी) के कार्यकर्ताओं ने हत्या की निंदा करने के लिए पाकिस्तान विरोधी और आतंकवाद विरोधी प्रदर्शन किये, जबकि कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई ने कहा कि केंद्र को लक्षित हत्याओं को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने चाहिए। प्रदेश कांग्रेस ने घाटी में सामान्य स्थिति लौटने का दावा कर लोगों को बेवकूफ बनाने के बजाय बेशकीमती जान बचाने पर ध्यान देने की केंद्र से अपील की।
गौरतलब है कि एक एटीएम के सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करने वाले संजय शर्मा (40) की आतंकवादियों ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिला स्थित अचन इलाके में रविवार को गोली मार कर हत्या कर दी। हमले की निंदा करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि प्रशासन शोक संतप्त परिवार के साथ मजबूती से खड़ा है। उन्होंने यहां एक बयान में कहा, ‘‘शोकाकुल परिवार के प्रति मेरी संवेदना है। प्रशासन को आतंकवादियों से निपटने के लिए खुली छूट दी गई है और हम आतंकवाद की इस तरह की हरकतों का मुकाबला करना जारी रखेंगे।’’
आतंकी घाटी में कर रहे लगातार हत्याएं - शिवसेना (UBT)
शिवसेना(उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की जम्मू कश्मीर इकाई के कार्यकर्ताओं ने अपने अध्यक्ष मनीष साहनी के नेतृत्व में केंद्र शासित प्रदेश के बाहरी इलाके में चन्नी हिम्मत स्थित पार्टी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तान विरोधी और आतंकवाद विरोधी नारेबाजी के बीच साहनी ने कहा, ‘‘स्थिति सामान्य होने के सरकार के दावे के बावजूद आतंकवादी घाटी में अक्सर लक्षित हत्याएं कर रहे हैं। हम हत्या की निंदा करते हैं और जम्मू में पिछले आठ महीनों से आंदोलनरत हिंदू कर्मचारियों को दूसरे स्थानों पर भेजने की मांग करते हैं।’’
नागरिकों की सुरक्षा करना सरकार का कर्तव्य - कांग्रेस
कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने रविवार हो हुई हत्या की निंदा की और कहा कि यह हमला चिंता का विषय है और बेकसूर नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सरकार की नाकामी को प्रदर्शित करता है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘स्थिति सामान्य होने के खोखले दावे करने के बजाय, सरकार को अल्पसंख्यकों और अन्य बेकसूर नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। कश्मीरी पंडित और डोगरा कर्मचारी जम्मू में प्रदर्शन कर रहे हैं तथा सरकार उन्हें घाटी में काम पर लौटने के लिए विवश कर रही है, जो इस तरह के माहौल में संभव नहीं है।’’