Indian Army Day: दुनिया की सबसे बड़ी चौथी सेना के रूप में भारत अब पाकिस्तान और चीन के लिए ही नहीं, बल्कि विश्व के लिए चुनौती बन गया है। भारतीय सेना की लगातार बढ़ती ताकत को देखते हुए पाकिस्तान और चीन ही नहीं परेशान है, बल्कि अमेरिका भी हैरान है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 8 वर्षों के कार्यकाल में सेना को सर्वाधिक ताकतवर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वह लगातार भारतीय सेना को हथियारों और आधुनिक तकनीकियों से लैस करते जा रहे हैं। यही वजह है कि जो हिंदुस्तान पहले युद्धक हथियारों के लिए विदेशों पर निर्भर रहता था, अब वही हिंदुस्तान 75 से अधिक देशों में सामरिक हथियारों और फाइटर जेट की बिक्री कर रहा है। इससे रक्षा के क्षेत्र में आत्म निर्भर हुए भारत की ताकत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
क्विक एक्शन आर्मी के रूप में बनाई पहचान
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया के सामने क्विक एक्शन आर्मी के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। पहले जहां देश की सेना को बुलेट प्रूफ जैकेट और आधुनिक हथियारों और गोला-बारूद की कमी से जूझना पड़ता था, अब सीन बदल चुका है। देश की सेना बुलेट प्रूफ जैकेटों, हथियारों, फाइटर जेटों, सबमरीन, बैलिस्टिक मिसाइलों, कंबैट हेलीकॉप्टरों, अटैक हेलीकॉप्टरों, ड्रोन, अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम इत्यादि से पूरी तरह लैस हो चुकी है। क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन करने में भी भारतीय सेना को महारत हासिल हो चुकी है। पाकिस्तान में दो बार सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक, श्रीलंका की मदद के लिए आतंकियों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक, गलवान और तवांग में चीन की चित कर बॉर्डर से दूर खदेड़ने वाली घटनाएं क्विक एक्शन आर्मी का प्रमाण बन चुकी हैं। यही वजह है कि दुश्मन पाकिस्तान और चीन भारतीय सेना के बुलंद हौसलों से थर्राने लगे हैं। आपको बता दें कि भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया की सबसे बड़ी चौथी सेना है।
भारत ने जबरदस्त तरीके से बढ़ाया रक्षा बजट
मोदी सरकार ने सेना को ताकत देने के लिए देश के रक्षा बजट में भी जबरदस्त इजाफा किया है। वर्ष 2014 में भारत का रक्षा बजट 2.53 लाख करोड़ था, जो कि अब बढ़कर 5.25 लाख करोड़ हो चुका है। फरवरी 2023 के बजट में इसके 6 लाख करोड़ रुपये के भी पार पहुंच जाने की संभावना है। भारत के रक्षा राज्यमंत्री के लोकसभा में पूरक प्रश्नों के उत्तर में दिए गए संदर्भ के अनुसार भारत रक्षा के क्षेत्र में खर्च करने के मामले में अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है। इससे भारत की बढ़ती सामरिक ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मेक इन इंडिया से मेक फॉर वर्ल्ड का सफर
पीएम मोदी के मंत्र मेक इन इंडिया को साकार करते हुए देश ने रक्षा के क्षेत्र में बड़ी आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है। अब भारत न सिर्फ अपने लिए रक्षा के उपकरण और अत्याधुनिक हथियार बना रहा है, बल्कि दूसरे देशों को इसे निर्यात करने में भी सक्षम हो गया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार भारत अब करीब 75 देशों को युद्धक सामग्री और फाइटर जेट की बिक्री कर रहा है। भारत के आधुनिक फाइटर जेट "तेजस" को खरीदने के लिए अमेरिका, आस्ट्रेलिया, फिलीपींस और मिस्र जैसे देशों ने भी दिलचस्पी दिखाई है। इससे देश को विदेशी मुद्रा की आय हो रही है। कुल रक्षा बजट का 60 फीसदी धन केवल मेक इन इंडिया के लिए ही रखा गया है। ताकि स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिल सके। यही वजह है कि देश अब मेक इन इंडिया से मेक फॉर वर्ल्ड की ओर कदम बढ़ा चुका है।
आइएनएस विक्रांत,राफेल और तेजस बने दुश्मन की तबाही का सबब
वर्ष 2022 में भारतीय सेना के बेड़े में एक से एक ताकतवर युद्धक विमान, युद्धपोत और घातक हथियार शामिल हुए । इसमें नौसेना के बेड़े में शामिल हुए स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट कैरियर आइएनएस विक्रांत का नाम प्रमुख है, जो दुश्मन की तबाही का प्रतीक है। आइएनएस विक्रांत की ताकत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इस पर 30 से अधिक लड़ाकू विमान लैंडिंग व टेक ऑफ कर सकते हैं। 32 मिसाइलें तैनात हैं। कई अन्य फाइटर हेलकॉप्टर की भी तैनाती है। गैस टर्बाइन और अत्याधुनिक रडार सिस्टम भी है। इसके अलावा बीते वर्ष ही आइएनएस विक्रमादित्य युद्धपोत व कई परमाणु पनडुब्बियां भी भारतीय नौसेना का हिस्सा बनीं। वहीं फ्रांस से आयातित राफेल फाइटर जेट वायु सेना की बड़ी ताकत बन गया। यह दुनिया के खतरनाक जेटों में शामिल है। इसके अलाव स्वदेशी तेजस फाइटर जेट भी दुनिया को चुनौती देने के लिए सेना का हिस्सा बन चुका है।
हेलिना और होवित्जर से कांपते हैं दुश्मन
भारतीय नौसेना और वायु सेना की तरह ही थल सेना को भी बुलेट प्रूफ जैकेटों से लेकर आधुनिक मिसाइलों, बख्तरबंद वाहनों, तोपों, टैंकों और एंटी टैंक मिसाइलों से लैस किया गया है। हाल ही में डीआरडीओ से निर्मित हेलिना एंटी टैंक मिसाइल दुनिया की खतरनाक मिसाइलों में शुमार हो चुकी है, जिसे "दागो और भूल जाओ" की संज्ञा दी गई है। नाम से ही स्पष्ट है कि इसे दागने के बाद आपको यह नहीं सोचना है कि दुश्मन तबाह हुआ या नहीं, यानि दुश्मन कितने भी बीहड़ और दुर्गम क्षेत्रों में क्यों न छुपा हो यह उसे ढूंढ़कर मारता है। हाल ही में इसे चीन सीमा पर तैनाती दी गई है। इसके अलावा अमेरिका के एम-777 होवित्जर तोप भी भारतीय थल सेना की ताकत बढ़ा रही है। इसके अलावा बहुत से अत्याधुनिक व खतरनाक गाइडेड मिसाइलों, एंटी टैंक मिसाइलों, टैंकों, गाइडेड राकेट लांचर, हैंड ग्रेनेड, ड्रोन इत्यादि से थल सेना को लैस किया गया है।
बॉर्डर पर बिछाया सड़कों और पुलों का जाल
भारतीय सेना को दुर्गम से दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए पाकिस्तान और चीन सीमा पर मोदी सरकार ने सड़कों,पुलों, बंकरों, रेल नेटवर्क, लैंडिंग साइटों का जाल बिछा दिया गया है। ताकि दुश्मन पर क्विक एक्शन के लिए सेना हर वक्त तैनात रहे। मोदी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान चीन से लगी सीमा पर 4000 किलोमीटर तक सड़कों और इंफ्रास्ट्रक्चर का जाल बिछा दिया है। ताकि दुर्गम परिस्थितियों में सैनिक कहीं भी पहुंचकर दुश्मनों का खात्मा कर सकें। हाल ही में 40 हजार करोड़ की परियोजना फ्रंटियर हाईवे को भी मंजूरी दी गई है, जो एलएसी पर बिलकुल मैकमोहन रेखा से होकर गुजर रहा है। भारत के इस रोड प्रोजेक्ट ने चीन को चिंता में डाल दिया है। यह हाईवे अरुणाचल से तिब्बत तक जाएगा। वर्ष 2026 में इसे तैयार कर लिए जाने का लक्ष्य है। इसी तरह पाकिस्तान की सीमा पर भी सड़कों, पुलों,बंकरों और सैनिक शेल्टरों का नेटवर्क बढ़ा दिया गया है।
डिफेंस कोरिडोर और नेशनल वॉर मेमोरियल
मोदी सरकार में इंडिया गेट पर बनाया गया नेशनल वॉर मेमेरियल देश के जवानों का हौसला बढ़ा रहा है। अब तक देश के लिए शहीद हुए हजारों जवानों के लिए यह वॉर मेमोरियल सच्ची श्रद्धांजलि है। यहां आने के बाद सिर्फ शहीदों के परिवारजन को ही नहीं, बल्कि हर एक भारतीय को गर्व का एहसास होता है। वहीं सेना के लिए युद्धक उपकरणों को देश में निर्मित करने के लिए यूपी में पीएम मोदी ने डिफेंस कोरिडोर बनाकर देश के रक्षा इतिहास में एक नई इबारत लिख डाली है, जो सेना को हर वक्त मजबूती देता रहेगा।
इसके अतिरिक्त पीएम मोदी ने चीफ डिफेंस ऑफ आर्मी स्टाफ (सीडीएस) का पद बनाकर सेना की ताकत को और भी मजबूत कर दिया है। सीडीएस तीनों सेनाओं के प्रमुख होते हैं। यानि किसी दुश्मन देश की हरकतों का जवाब देने के लिए अब सेना को सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। सीडीएस ही किसी भी देश पर जवाबी हमले का आदेश दे सकते हैं। सेना में महिलाओं के लिए भी सरकार ने पूरी तरह से रास्ते खोल दिए हैं।