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Indian Air Force Day: बीते 90 सालों में कितनी एडवांस हुई इंडियन एयरफोर्स, जानें इसका इतिहास

Indian Air Force Day: इंडियन एयरफोर्स को आधिकारिक तौर पर 8 अक्टूबर 1932 को स्थापित किया गया था। इसके बाद 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता बना जिसमें 6 आएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल किया गया था।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Updated on: October 08, 2022 12:21 IST
Indian Air Force Day- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Indian Air Force Day

Highlights

  • इंडियन एयरफोर्स को आधिकारिक तौर पर 8 अक्टूबर 1932 को स्थापित किया गया था।
  • 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता बना
  • IAF पहली बार आदिवासियों के खिलाफ वजीरिस्तान युद्ध के दौरान सामने आया

Indian Air Force Day: एयरफोर्स डे 8 अक्टूबर को मनाया जाता है और आज इसकी 90वीं वर्षगांठ है। इंडियन एयरफोर्स (IAF) दुनिया की चौथी सबसे बड़ी एयरफोर्स है। IAF अमेरिका, रूस और चीन के बाद विश्व की सबसे बड़ी वायु सेना है। इस बार इंडियन एयरफोर्स की परेड और फ्लाई पास्ट का आयोजन चंडीगढ़ में हो रहा है। एयरफोर्स डे पर सिंगल इंजन वाले मिग-21 सहित लगभग 80 फाइटर जेट चंडीगढ़ के सुखना लेक के ऊपर भव्य प्रदर्शन करेंगे। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हवाई शो को देखने के लिये सुकना झील में मौजूद रहेंगे। राष्ट्रपति फ्लाई पास्ट के अवसर पर मुख्य अतिथि होंगी। एयर शो से पहले आज वायुसेना अड्डे पर औपचारिक परेड होगी। परेड का निरीक्षण एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी करेंगे। आइए अब आपको भारतीय वायुसेना के स्वर्णिम इतिहास के बारे में कुछ बेहद महत्वपूर्ण जानकारी बताते हैं।

इंडियन एयरफोर्स के 90 साल

गौरतलब है कि इंडियन एयरफोर्स को आधिकारिक तौर पर 8 अक्टूबर 1932 को स्थापित किया गया था। इसके बाद 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता बना जिसमें 6 आएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल किया गया था। इसके अलावा इन्‍वेंट्री में 4 वेस्टलैंड IIA बाइप्लेन भी थे। IAF पहली बार आदिवासियों के खिलाफ वजीरिस्तान युद्ध के दौरान सामने आया था। बाद में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान IAF का जबरदस्त विस्तार हुआ। इंडियन एयरफोर्स का इस्तेमाल बर्मा में जापानी ठिकानों पर हमला करने के लिए किया गया था ताकि जापानी सेना को भारत में आगे बढ़ने से रोका जा सके। युद्ध के दौरान विशेष रूप से बर्मा में IAF एक अहम रक्षा बल साबित हुआ। इसके बाद इसे रॉयल इंडियन एयर फोर्स (RIAF) के रूप में जाना जाने लगा।

भारत के गणतंत्र बनने के बाद 1950 में वायुसेना के नाम में से "रॉयल" शब्द को हटाकर सिर्फ इंडियन एयरफोर्स कर दिया गया था। IAF ने कांगो संकट (1960-1966) और गोवा के विलय (1961), द्वितीय कश्मीर युद्ध (1965), बांग्लादेश मुक्ति युद्ध (1971), कारगिल युद्ध (1999) और बालाकोट के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं हैं। हाल ही में IAF ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों पर एयरस्ट्राइक की थी। 

इंडियन एयरफोर्स की जिम्मेदारियां

इंडियन एयरफोर्स हमेशा से इंडियन नेवी और इंडियन आर्मी के साथ-साथ देश की रक्षा प्रणाली का एक मौलिक और महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। 1 जुलाई 2017 तक, इंडियन एयरफोर्स में 12,550 अधिकारी (12,404 की संख्या 146 के साथ सेवारत) और 142,529 एयरमैन (127,172 15,357 के साथ सेवारत) की स्वीकृत संख्या है। वायुसेना पर न केवल भारतीय क्षेत्र को सभी जोखिमों से बचाने की जिम्मेदारी है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रभावित क्षेत्रों को सहायता भी मुहैया कराना है। IAF कई युद्धों में शामिल रहा है। जैसे- द्वितीय विश्व युद्ध, चीन-भारतीय युद्ध, ऑपरेशन कैक्टस, ऑपरेशन विजय, कारगिल युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध, कांगो संकट, ऑपरेशन पूमलाई, ऑपरेशन पवन और कुछ अन्य।

IAF की 5 बड़ी ताकतें

Dassault Rafale: इस समय 36 राफेल फाइटर प्लेन इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में शामिल हैं। राफेल के आने से भारत की वॉर पावर में और अधिक इजाफा हो गया है। राफेल उल्का और हैमर जैसी मिसाइलों से लैस है। मल्टीरोल होने के कारण दो इंजन वाला (टूइन) राफेल फाइटर जेट एयर-सुप्रेमैसी यानी हवा में हमला करने की क्षमता रखने के साथ-साथ डीप-पैनेट्रेशन यानी दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने में भी सक्षम है। राफेल जब आसमान में उड़ता है तो कई सौ किलोमीटर तक दुश्मन का कोई भी विमान, हेलीकॉप्टर या फिर ड्रोन पास नहीं फटक सकता है। साथ ही वो दुश्मन की जमीन में अंदर तक दाखिल होकर बमबारी कर तबाही ला सकता है। यही कारण है कि राफेल को मल्टी रोल फाइटर प्लेन भी कहा जाता है।

Sukhoi Su-30MKI: सरकार ने साल 2016 में ब्रह्मोस के हवा से मार करने में सक्षम वेरिएंट को 40 से ज्यादा सुखोई लड़ाकू विमानों में जोड़ने का निर्णय किया था। इस प्रोजेक्ट की कल्पना समुद्र या जमीन पर किसी भी लक्ष्य पर बड़े ‘स्टैंड-ऑफ रेंज’ से हमला करने की इंडियन एयरफोर्स की क्षमता को बढ़ाने के लिए की गई थी।

Mikoyan MiG-29: मिग-29, जिसे बाज़ के रूप में जाना जाता है। ये फाइटर प्लेन एक समर्पित वायु श्रेष्ठता सेनानी है, जो सुखोई-30एमकेआई के बाद इंडियन एयरफोर्स की दूसरी डिफेंस लाइन का गठन करता है। अभी फिलहाल 69 मिग-29 देश की सेवा कर रहे हैं, जिनमें से सभी को हाल ही में मिग-29यूपीजी मानक में अपग्रेड किया गया है।

Dassault Mirage 2000: मिराज 2000 को इंडियन एयरफोर्स में वज्र के रूप में जाना जाता है। वर्तमान में IAF के पास 49 मिराज 2000 एच और 8 मिराज 2000 टीएच हैं, जिनमें से सभी को वर्तमान में भारतीय विशिष्ट संशोधनों के साथ मिराज 2000-5 एमके 2 मानक में अपग्रेड किया जा रहा है और 2 मिराज 2000-5 एमके 2 मार्च 2015 तक सेवा में हैं।

HAL Tejas: IAF मिग-21 को घरेलू रूप से निर्मित एचएएल तेजस से बदला जाना है। पहली तेजस IAF इकाई, नंबर 45 स्क्वाड्रन IAF फ्लाइंग डैगर्स का गठन 1 जुलाई 2016 को किया गया था। इसके बाद 27 मई 2020 को नंबर 18 स्क्वाड्रन IAF "फ्लाइंग बुलेट्स" का गठन किया गया था। फरवरी 2021 में इंडियन एयरफोर्स ने 123 तेजस का ऑर्डर दिया, जिसमें 40 मार्क 1, 73 सिंगल-सीट मार्क 1 एएएस और 10 टू-सीट मार्क 1 ट्रेनर शामिल हैं। 

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