Thursday, September 19, 2024
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बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेगा पाकिस्तान! भारत सिंधु जल संधि की करेगा समीक्षा, पाकिस्तान को भेजा नोटिस

भारत की ओर से भेजे गए नोटिस में परिस्थितियों में आए मौलिक और अप्रत्याशित बदलावों पर प्रकाश डाला गया है, जिसके लिए संधि के विभिन्न अनुच्छेदों के तहत दायित्वों की समीक्षा जरूरी है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Updated on: September 18, 2024 18:45 IST
भारत सिंधु जल संधि की...- India TV Hindi
Image Source : FILE भारत सिंधु जल संधि की करेगा समीक्षा,

नई दिल्ली: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजा है। इसमें कहा गया है कि हालात में “मौलिक और अप्रत्याशित” परिवर्तनों के कारण सिंधु जल संधि की समीक्षा जरूरी है। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के अनुच्छेद 12(3) के तहत 30 अगस्त को पाकिस्तान को नोटिस जारी किया गया। हालांकि इस पर अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।

19 सितम्बर, 1960 को हुआ था समझौता

भारत और पाकिस्तान ने नौ साल की बातचीत के बाद 19 सितम्बर, 1960 को सिंधु जल संधि पर दस्तखत किये थे। इसमें सिंधु नदी के पानी के बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था। संधि पत्र पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने दस्तखत किए थे। इस समझौता पत्र पर विश्व बैंक ने भी हस्ताक्षर किया था। वर्ल्ड बैंक कई सीमा पार नदियों के जल के उपयोग पर दोनों पक्षों के बीच सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक सिस्टम स्थापित करता है। 

सिंधु जल समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 6 नदियों को जल बंटवारे को लेकर है। इसके तहत रावी, सतलुज और ब्यास का पानी भारत को और मिला और पश्चिम नदियां यानी सिंधु, झेलम और चिनाब के जल के प्रयोग का अधिकार पाकिस्तान को मिला था।

सीमापार आतंकवाद का भी जिक्र

सूत्रों ने बताया कि भारत की ओर से भेजे गए नोटिस में परिस्थितियों में आए मौलिक और अप्रत्याशित बदलावों पर प्रकाश डाला गया है, जिसके लिए संधि के विभिन्न अनुच्छेदों के तहत दायित्वों की समीक्षा जरूरी है। उन्होंने कहा कि विभिन्न चिंताओं में से महत्वपूर्ण हैं जनसंख्या में परिवर्तन, पर्यावरणीय मुद्दे तथा भारत के उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाने की आवश्यकता। भारत ने समीक्षा की मांग के पीछे एक कारण सीमापार से लगातार जारी आतंकवाद का प्रभाव भी बताया है।

सिंधु जल समझौते के मुताबिक भारत घरेलू उपयोग के लिए इस नदी का 20 फीसदी पानी और पाकिस्तान 80 फीसदी पानी उपयोग कर सकता था। लेकिन धीरे-धीरे इसके उपयोग को लेकर दोनों देशों के बीच कई बार आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए गए।

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