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अमेरिकी सांसद ने भारत को बताया शक्तिशाली देश, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध पर दे डाली ऐसी सलाह

अमेरिका सांसद ने कहा, “रूसी आक्रामकता के संदर्भ में एक स्पष्ट नैतिक चुनौती खड़ी है और भारत स्पष्ट नैतिक मूल्यों पर आधारित देश के रूप में खुद पर गर्व करता है। मुझे लगता है कि (भारत) इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि कभी न कभी उसे एक पक्ष चुनना पड़ेगा।”

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published : Mar 03, 2023 13:22 IST, Updated : Mar 03, 2023 14:34 IST
अमेरिकी सांसद मार्क वार्नर
Image Source : FILE PHOTO अमेरिकी सांसद मार्क वार्नर

अमेरिका के प्रभावशाली सांसद मार्क वार्नर ने गुरुवार को भारत को अपने नैतिक मूल्यों पर गर्व करने वाला एक शक्तिशाली देश बताते हुए कहा कि उसे कभी न कभी यूक्रेन युद्ध में किसी एक पक्ष को चुनना पड़ेगा। वार्नर लंबे समय से अमेरिका और भारत के बीच मजबूत संबंधों की वकालत करते रहे हैं। खुफिया मामलों से संबंधित सीनेट की प्रवर समिति के अध्यक्ष वार्नर ने एक साक्षात्कार के दौरान, चीनी आक्रामकता और उससे मिलने वाली चुनौतियों के सामने डटकर खड़े रहने के लिए भारत की प्रशंसा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यूक्रेन संघर्ष के संबंध में भारत ने अब तक जो कदम उठाए हैं वे पर्याप्त नहीं हैं और वह इससे ज्यादा कर सकता है। 

"बयान देने से ज्यादा, बहुत कुछ किया जा सकता है"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान कि यह “युद्ध का दौर नहीं है” का जिक्र करते हुए वार्नर ने कहा, “उज्बेकिस्तान में पुतिन के सामने यह टिप्पणी करने के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि एक साल से जारी युद्ध को लेकर कोई बयान देने से ज्यादा, बहुत कुछ किया जा सकता है।” भारत कहता रहा है कि वह यूक्रेन में शांति के पक्ष में खड़ा है। साथ ही उसने यूक्रेन और रूस के बीच किसी भी शांति पहल में योगदान की इच्छा व्यक्त की है। 

"भारत ऐसे सहयोगियों की तलाश कर रहा है जो..."
अमेरिकी सांसद वार्नर हाल ही में भारत की यात्रा से लौटे संसद के एक प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। भारत यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की थी। वार्नर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सालों पहले भारत चीन को लेकर “किसी पक्ष को चुनने के लिए अनिच्छुक” था। उन्होंने कहा, “भारत ने अपने निजी हित और चीनी आक्रामकता के कारण एक पक्ष चुना और यह स्वीकार किया कि संघर्ष कोई भी नहीं चाहता है। भारत ऐसे सहयोगियों की तलाश कर रहा है जो चीनी आक्रामकता के खिलाफ खड़े हों, चाहे वह आर्थिक आक्रामकता हो, चाहे वह सैन्य आक्रामकता हो या फिर हिंद महासागर में चीन की आक्रामकता से निपटना हो।” 

"भारत को कभी न कभी उसे एक पक्ष चुनना पड़ेगा"
सांसद मार्क वार्नर ने कहा कि रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध हैं। अमेरिकी सांसद ने कहा, “मैं समझता हूं कि अगर भारत हथियारों को लेकर रूस पर निर्भरता कम करता है, तो उसे एक विश्वसनीय भागीदार की जरूरत होगी। फिर चाहे वह भागीदार अमेरिका हो या कोई और। भारत को लगता है कि कभी कोई संघर्ष पैदा हो तो उन परिस्थितियों में भारत के सैन्य बलों को आपूर्ति मिल सके।” वार्नर ने कहा ‘‘मैं समझता हूं कि भारत एक बड़ा शक्तिशाली और आशावादी देश है। ’’ उन्होंने कहा, “रूसी आक्रामकता के संदर्भ में एक स्पष्ट नैतिक चुनौती खड़ी है और भारत स्पष्ट नैतिक मूल्यों पर आधारित देश के रूप में खुद पर गर्व करता है। मुझे लगता है कि (भारत) इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि कभी न कभी उसे एक पक्ष चुनना पड़ेगा।”

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