Saturday, March 22, 2025
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'हम व्यापार नहीं, उपचार और उपकार का अनुष्ठान कर रहे हैं', इंडिया टीवी सत्य सनातन कॉन्क्लेव में बोले स्वामी रामदेव

स्वामी रामदेव ने कहा कि हम व्यापार नहीं, उपचार और उपकार का अनुष्ठान कर रहे हैं। हम सांस्कृतिक अतीत के साथ विकास के आयाम गढ़ रहे हैं।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Mar 21, 2025 18:01 IST, Updated : Mar 21, 2025 18:55 IST
सत्य सनातन कॉन्क्लेव...
Image Source : INDIA TV सत्य सनातन कॉन्क्लेव में स्वामी रामदेव

इंडिया टीवी सत्य सनातन कॉन्क्लेव में स्वामी रामदेव ने कहा कि हमारी संस्कृति एक अरब 96 करोड़ 8 लाख वर्ष पुरानी है। अंग्रेजों और विदेशी आक्रांताओं ने इसे लूटा है। स्वामी रामदेव ने कहा कि हम व्यापार नहीं, उपचार और उपकार का अनुष्ठान कर रहे हैं। हम सांस्कृतिक अतीत के साथ विकास के आयाम गढ़ रहे हैं।

भारत को फिर से सर्वश्रेष्ठ बनाने का समय 

स्वामी रामदेव ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था 500 ट्रिलियन डॉलर की थी। भारत से 100 से सवा सौ ट्रिलियन डॉलर लूटे गए। भारत को फिर से सर्वश्रेष्ठ बनाने का समय है, संकल्प से सिद्धि का यह सबसे उचित वक्त है। हम अर्थ से परमार्थ का उपाय कर रहे हैं।

योग से मिलती है ऊर्जा

स्वामी रामदेव ने योग का उल्लेख करते हुए कहा कि मुझे योग से ऊर्जा मिलती है, योग की शक्ति बहुत बड़ी है। आप योग कीजिए 100 साल तक बूढ़े नहीं होंगे। योग और अध्यात्म में बहुत ताक़त है।

सनातन आचरण का विषय

उन्होंने कहा कि हमें ऐसे सनातन को देखना है जो जीवन में हो। क्योंकि सनातन आचरण का विषय है। आजकल सनातनियों में होड़ मची हुई है। कुछ लोग हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं। मैं पूछता हूं हिंदू राष्ट्र बनाकर क्या करना है? सनातन हमारे आचरण में होना चाहिए। व्यक्तित्व में सनातन की शक्ति होनी चाहिए। मैं चाहता हूं कि एक-एक सनातन धर्मी सैकड़ों अधर्मियों पर भारी हो।

Satya Sanatan

Image Source : INDIA TV
सत्य सनातन

सनातन जीवन जीने का तत्व

स्वामी रामदेव ने कहा कि मुझे सनातन धर्म का पुरोधा नहीं बनना है। मुझे ऋषि ऋषिकाओं का वंशधर बनना है। उन्होंने कहा कि सनातन जीवन जीने का तत्व है। स्वामी रामदेव ने कहा कि मैं चाहता हूं कि भारत की हर माता बहन योगिनी बनें। सिर्फ जाति के जयघोष से बात नहीं बनेगी।

हम सब धरती माता की संतान

स्वामी रामदेव ने कहा कि हमारे एक ही पूर्वज हैं। हमारा वंश एक है। हम सब धरती माता की संतान हैं। उन्होंने कहा कि मैं समग्रता में योग को जीता हूं। आधा अधूरा ज्ञान, आधे अधूरे कर्म से बात नहीं बनेगी। उन्होंने योग से विमुख होने पर चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि सूरज का अभाव ही अंधेरा है। बेरोजगारी, महंगाई का हल कर्मयोग भी है। मैंने 5 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया। मैंने लोगों के लाखों करोड़ रुपये बचाए। देश के 99% लोग रोग और दरिद्रता का कारण खुद हैं।

आत्मविजेता होकर बन सकते हैं विश्वविजेता 

स्वामी रामदेव ने कहा कि ऊपर उठने के लिए आपकी खुद की भी जिम्मेदारी है। राम की तरह आप भी साहस, शौर्य के प्रतीक बनें। मैं बच्चे की तरह जीने में विश्वास रखता हूं। जहां गंभीर होना चाहिए वहां गंभीर रहना चाहिए। व्यक्ति को अपने जीवन में सहजता के साथ रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने 200 साल तक जीने का टारगेट रखा है। आदमी को कभी भी बोझिल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सत्ता और संपत्ति के अहंकार में हैं। इस धरती पर रावण का भी अहंकार नहीं रहा। आत्मविजेता होकर विश्वविजेता बन सकते हैं। जो पाएं प्रभु की चरणों में समर्पित करते जाएं।

सनातन एक शाश्वत परंपरा 

स्वामी रामदेव ने कहा कि सनातन एक शाश्वत परंपरा है। सनातन एक Universal truth है। छत्रपति शिवाजी महाराज संतुलित जीवन जीते थे। अनुशासन सनातन संस्कृति का मूल है। उन्होंने कहा कि जीवन अनुशासन है और अनुशासन ही जीवन है। जीवन को आरामदेही में नहीं जीना चाहिए। विलासिता ने बड़े-बड़ों का राजपाट छीना है। वहीं राम मंदिर के सवाल पर उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण राष्ट्र के निर्माण के लिए है। राम मर्यादा और कृष्ण कर्मयोग का नाम हैं। स्वामी रामदेव ने कहा कि आत्मअनुशासन से ही राम राज्य आएगा। 

 

 

 

 

 

 

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