नई दिल्ली: महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर जारी आंदोलन बीते शुक्रवार को हिंसक हो गया था। अंबाड तहसील में धुले-सोलापुर रोड पर अंतरवाली सराथी गांव में हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। विपक्षी नेताओं ने शुक्रवार की घटनाओं को लेकर राज्य की शिवसेना-बीजेपी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने पुलिस लाठीचार्ज की निंदा की और सरकार से राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए कदम उठाने की मांग की।
मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बंट गए वोट
अब यह मुद्दा इतना बड़ा बनता जा रहा है कि इसके सियासी नफे-नुकसान को लेकर बातें शुरू हो गई हैं। इंडिया टीवी ने भी इस घटना पर जनता की आवाज को समझने के लिए एक पोल किया। पोल में सवाल पूछा गया था कि ‘क्या मराठा आरक्षण को लेकर चल रहे बवाल के कारण चुनावों में महाराष्ट्र सरकार को नुकसान पहुंचेगा?’ और ‘हां’, ‘नहीं’ और ‘कह नहीं सकते’ के विकल्प दिए गए थे। जब इस मुद्दे पर जनता ने अपनी राय दी तो नतीजे चौंकाने वाले रहे। कुल 5455 लोगों में से 51 फीसदी लोगों का मानना था कि इससे सरकार को कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन 45 फीसदी की राय इसके विपरीत थी। वहीं, 4 फीसदी लोगों ने ‘कह नहीं सकते’ का विकल्प चुना।
क्यों प्रदर्शन कर रहा है मराठा समुदाय
बता दें कि मनोज जारांगे के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर मंगलवार से गांव में भूख हड़ताल कर रहे थे। राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रदान किये गये आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शांति की अपील की और घोषणा की कि हिंसा की उच्च स्तरीय जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी। पुलिस ने बताया था कि शुक्रवार को आंदोलन हिंसक हो गया और कुछ लोगों ने राज्य परिवहन की बसों और निजी वाहनों को निशाना बनाया।