Friday, November 22, 2024
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India-Taliban Relations: बदला-बदला सा तालिबान! आतंकी संगठनों के बारे में भारत को दिया ये भरोसा, जानिए पूरी डिप्लोमेसी

India-Taliban Relations: हाल ही में काबुल में भारतीय अफसरों और तालिबान की मीटिंग हुई। तालिबान ने भरोसा दिलाया कि भारत के खिलाफ साजिश करने वाले आतंकी संगठनों पर लगाम कसी जाएगी। तालिबान ने कहा कि सटीक जानकारी मिली, तो वे आतंकियों के खिलाफ एक्शन लेंगे।

Written by: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: June 11, 2022 14:10 IST
India-Taliban Relations- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO India-Taliban Relations

Highlights

  • अल-कायदा की धमकी के बाद तालिबान ने दिया भरोसा
  • खस्ता हालत में भारत ने खाद्यान्न और अन्य आर्थिक मदद देकर विश्वास में लिया
  • कोरोना के दौरान 75,000 टन गेहूं भारत ने ​अफगानिस्तान भिजवाया था

India-Taliban Relations:अफगानिस्तान में जब से तालिबान शासन आया है, ये तालिबान बदला बदला सा नजर आ रहा है। हालांकि उनकी कट्टरता तो जगजाहिर है, लेकिन भारत के संदर्भ में वो ये स्पष्ट कर चुका है कि अपनी धरती से वो भारत के खिलाफ आतंकवाद को पनपने नहीं देगा। इसके बाद से भारत ने बैकडोअर से तालिबान से बातचीत करना शुरू कर दिया है। इसके कई कूटनीतिक कारण भी हैं। हाल ही में काबुल में भारतीय अफसरों और तालिबान की मीटिंग हुई। तालिबान ने भरोसा दिलाया कि भारत के खिलाफ साजिश करने वाले आतंकी संगठनों पर लगाम कसी जाएगी। तालिबान ने कहा कि सटीक जानकारी मिली, तो वे आतंकियों के खिलाफ एक्शन लेंगे। 

दरअसल, यह बैठक तालिबान सरकार के कहने पर हुई थी। इस मीटिंग में विदेश विभाग के अफसर जेपी सिंह ने हिस्सा लिया। सिंह अफगानिस्तार, पाकिस्तान मामलों के एक्सपर्ट हैं। जबकि  अफगानिस्तान की तरफ से रक्षामंत्री मुल्ला याकूब, गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने शिरकत की थी।

तालिबान से नए रिश्तों के समीकरण से भारत को क्या फायदा?

तालिबान शीर्ष नेतृत्व ने भारत को आश्वासन दिया कि वह अपनी धरती से भारत के खिलाफ आतंकवाद की अनुमति नहीं देगा। वह विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई भी करेगा। यानी अपनी धरती से वह पाकिस्तान आतंक को नहीं पनपने देगा। यह भारत के लिए राहत की बात है। अन्यथा, पाकिस्तान के इशारे पर अलकायदा, जैश ए मुहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के भी वहां ठिकाने बना लिए जाते थे।

अल-कायदा की धमकी के बाद तालिबान ने दिया भरोसा

तालिबान के लीडर्स ने अल-कायदा, जैश-ए-मुहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों पर एक्शन लेने का भरोसा दिया है। भारत का यह मानना है कि तालिबान शासन अब पहले के मुकाबले काफी अलग काम कर रहा है। हालांकि, अभी भी बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। इस बारे में भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर वेदप्रताप वैदिक स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत को तालिबान से बात करनी चाहिए। ये वो तब से कह रहे ​थे, जब ट्रंप अपने राष्ट्रपतिकाल में अफगानिस्तान का दौरा करने आए थे। अब संवाद की शुरुआत हो चुकी है।

तालिबान क्यों भारत पर हो रहा मेहरबान?

तालिबान के भारत के प्रति बदले रूख पर भारत को राहत जरूर है, लेकिन फिर भी बहुत जल्दी बहुत ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। वैसे तालिबान में आर्थिक हालात बहुत बुरे हैं। एक तो सत्ता मिली, तो भी अफगानिस्तान की हालत खस्ता थी। दूसरा, वहां पड़ने वाले अकाल के कारण भी अफगानिस्तान में खेतीबाड़ी प्रभावित हुई। ऐसी खस्ता हालत में भारत ने खाद्यान्न और अन्य आर्थिक मदद देकर उसे विश्वास में लिया है। हालांकि भारत तालिबान शासन से पहले भीा अफगानिस्तान के इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने में भारी मदद कर चुका है। लेकिन तालिबान को भारत से मिली मदद के बाद उसका नजरिया भी भारत के प्रति बदला है। यही कारण है कि वह भारत के हित से जुड़ी बातें, खासतौर पर आतंकवाद के संदर्भ में करने लगा है।

India-Taliban Relations

Image Source : INDIA TV
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तालिबान से अच्छे संबंध भारत के हित में?

मोदी सरकार ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद और विकास कार्यों को शुरू करने भरोसा दिया है। तालिबान से सीधी बात, भारत को सेंट्रल एशियाई देशों के सहारे नहीं छोड़ती। ऐसे में भारत यहां अपने हितों पर ध्यान दे सकता है। इसके अलावा पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों पर नजर भी रख सकता है।

भारत ने अफगानिस्तान में ये डेवलपमेंट कराए

भारत अफगानिस्तान को अब तक 20,000 मीट्रिक टन (एमटी) गेहूं, कई टीके, दवाएं और सर्दियों के कपड़े भेज चुका है। वहीं कोरोना के दौरान 75,000 टन गेहूं  भारत ने ​चाबहार बंदरगाह के जरिए अफगानिस्तान भिजवाया था। इसी तरह 03 बिलियन डॉलर की मदद से भारत ने अफगानिस्तान को खड़ा होने में सहायता मुहैया कराई। अफगानिस्तान के इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने  के संदर्भ में वर्ष 2020 में अफगानिस्तान कॉन्फ्रेंस में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि अफगानिस्तान में ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जिसे भारत ने न छुआ हो।अफगानिस्तान की संसद का निर्माण भारत ने 90 मिलियन डॉलर की मदद से कराया। भारत के सहयोग से बन रहा शहतूत बांध 20 लाख लोगों के प्यास बुझाएगा। इस बांध के लिए अफगानिस्तान से हुआ था समझौता।

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