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Mangalyaan: नहीं बचा ईंधन, बैटरी खत्म... 7 घंटे का ग्रहण और साढ़े 400 करोड़ के मंगलयान ने कह दिया अलविदा

Mangalyaan: भारत के मंगलयान में ईंधन खत्म हो गया है और इसकी बैटरी अपनी क्षमता से भी कहीं ज्यादा चलने के बाद खत्म हो गई है। इसके बाय ये अटकलें तेज हो गई हैं कि देश के पहले अंतर्ग्रहीय मिशन ने आखिरकार अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published : Oct 02, 2022 20:13 IST, Updated : Dec 16, 2022 23:26 IST
ISRO
Image Source : ISRO India's Mangalyaan bid farewell

Mangalyaan: भारत के मंगलयान में ईंधन खत्म हो गया है और इसकी बैटरी अपनी क्षमता से भी कहीं ज्यादा चलने के बाद खत्म हो गई है। इसके बाय ये अटकलें तेज हो गई हैं कि देश के पहले अंतर्ग्रहीय मिशन ने आखिरकार अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है। करीब साढ़े चार सौ करोड़ रुपये की लागत वाला ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन’ (MOM) पांच नवंबर, 2013 को PSLV-C25 से प्रक्षेपित किया गया था और वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष यान को पहले ही प्रयास में 24 सितंबर, 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था। 

नयी ऑरबिट में ले जाना चाह रहा था ISRO

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सूत्रों ने बताया, ‘‘अब, कोई ईंधन नहीं बचा है। सैटेलाइट की बैटरी खत्म हो गई है। संपर्क टूट गया है।’’ हालांकि, इसरो की ओर से इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ISRO पहले एक आसन्न ग्रहण से बचने के लिए मंगलयान को एक नयी ऑरबिट में ले जाने का प्रयास कर रहा था। अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, ‘‘लेकिन हाल ही में एक के बाद एक ग्रहण लगे, जिनमें से एक ग्रहण तो साढ़े सात घंटे तक चला।’’ 

लंबा ग्रहण लगने से पूरी तरह खत्म हुई बैटरी
वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘चूंकि उपग्रह बैटरी को केवल 1 घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि के हिसाब से डिज़ाइन किया गया था, इसलिए एक लंबा ग्रहण लग जाने से बैटरी लगभग समाप्त हो गई।’’ इसरो के अधिकारियों ने कहा कि मार्स ऑर्बिटर यान ने लगभग आठ सालों तक काम किया, जबकि इसे छह महीने की क्षमता के हिसाब से बनाया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘इसने अपना काम बखूबी किया और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परिणाम प्राप्त किए।’’ 

क्यों खास था ये मंगलयान
गौरतलब है कि मंगलयान को 2013 में PSLV-C25 के माध्यम से भारत के पहले इंटरप्लेनेटरी मिशन के रूप में लॉन्च किया गया था, जिससे ISRO पृथ्वी की कक्षा से बाहर इस तरह के मिशन को लॉन्च करने वाली दुनिया की चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गई। ये अंतरिक्ष यान एक डेमो मिशन था जिसका उद्देश्य यह स्थापित करना था कि भारत दूसरे ग्रह के लिए एक मिशन को डिजाइन, लॉन्च और संचालित कर सकता है। केवल 450 करोड़ रुपये में विकसित, भारत का मंगल ग्रह पर ये मिशन अब तक डिजाइन किए गए सबसे ज्यादा किफायती इंटरप्लानेटरी मिशनों में से एक था।

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