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Global Hunger Index में भारत का बुरा हाल, 'भूखा' श्रीलंका और 'कंगाल' पाकिस्तान भी हमसे ऊपर

Global Hunger Index: ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में भारत की स्थिति और खराब हुई है। 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत 6 पायदान नीचे खिसक कर 107वें नंबर पर आ गया है। 121 देशों की सूची में भारत का 107वां स्थान काफी निराशजनक है।

Edited By: Pankaj Yadav @ThePankajY
Updated on: December 16, 2022 0:15 IST
Global Hunger Index- India TV Hindi
Global Hunger Index

Highlights

  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 जारी
  • 6 पायदान नीचे खिसक गया भारत
  • 121 देशों की सूची में भारत 107वें स्थान पर

Global Hunger Index: ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में भारत की स्थिति पहले से भी बुरी हो गई है। 121 देशों के सर्वे में भारत 107वें स्थान पर है। वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान (99वें स्थान पर), बांग्लादेश (84वें स्थान पर), नेपाल (81वें स्थान पर) और श्रीलंका (64वें स्थान पर) भारत के मुकाबले कहीं अच्छी स्थिति में हैं। एशिया में केवल अफगानिस्तान ही भारत से पीछे है और वह 109वें स्थान पर है। बता दें कि श्रीलंका में हाल ही में खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों के चलते तख्तापलट तक हो गया था, जबकि पाकिस्तान में भी बढ़ती महंगाई ने बुरा हाल किया है और देश के सामने नकदी का संकट भी है। ऐसे में हंगर इंडेक्स में भारत का इन दोनों देशों से भी नीचे रहना हैरान करता है। भारत में बच्चों का वजन कम होना सबसे चिंताजनक विषय है। भारत में कम वजन के बच्चों की संख्या 19.3 प्रतिशत है जो कि दुनिया में किसी भी देश से सबसे अधिक है।  29.1 अंकों के साथ भारत में भूख का स्तर ‘‘गंभीर’’ है। 

साल दर साल भारत हो रहा पीछे

भारत 2021 में 116 देशों में 101वें नंबर पर था जबकि 2020 में वह 94वें पायदान पर था। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे अधिक भूख के स्तर वाले क्षेत्र, दक्षिण एशिया में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) सबसे अधिक है। इसमें कहा गया है, ‘‘भारत में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ 19.3 प्रतिशत है जो दुनिया के किसी भी देश में सबसे अधिक है और भारत की बड़ी आबादी के कारण यह इस क्षेत्र के औसत को बढ़ाता है।’’ भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) 35 से 38 फीसदी के बीच है और क्षेत्र में अफगानिस्तान में यह दर सबसे अधिक है। भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 2018-2020 में 14.6 प्रतिशत से बढ़कर 2019-2021 में 16.3 हो गयी है। इसका मतलब है कि दुनियाभर के कुल 82.8 करोड़ में से भारत में 22.43 करोड़ की आबादी अल्पपोषित है। पांच साल की आयु तक के बच्चों में मृत्यु दर के सबसे बड़े संकेतक ‘चाइल्ड वेस्टिंग’ की स्थिति भी बदतर हुई है। 2012-16 में 15.1 प्रतिशत से बढ़कर 2017-21 में यह 19.3 प्रतिशत हो गया है। 

Global Hunger Index

Image Source : INDIATV
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भारत में नाटेपन की दर में गिरावट

GHI ने कहा, ‘‘अनुसंधानकर्ताओं ने चार भारतीय राज्यों छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु में 2006 से 2016 के बीच नाटेपन की स्थिति में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारकों की पड़ताल की।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति, घरेलू स्थिति (जैसे कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति एवं खाद्य सुरक्षा) और मातृत्व कारक (जैसे कि माताओं का स्वास्थ्य और शिक्षा) में सुधार आने के कारण नाटेपन की दर में गिरावट आयी। 

GHI ने भारत को किया आगाह

GHI ने कहा कि दुनिया संघर्ष, जलवायु संकट और यूक्रेन में युद्ध के साथ ही कोविड-19 महामारी के आर्थिक परिणामों के साथ भूख को खत्म करने के प्रयासों में गंभीर चुनौती का सामना कर रही है। रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि वैश्विक संकट के बढ़ने पर हालात और बिगड़ सकते हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘संभावित समाधान और आवश्यक निवेश का पैमाना ज्ञात और परिमाणित है। इसके बजाय, समस्या नीति के क्रियान्वयन में है और दुनिया में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है।’’

Global Hunger Index

Image Source : INDIATV
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क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स और कौन इसे जारी करता है

ग्लोबल हंगर इंडेक्स के जरिए वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर भूख पर नजर रखी जाती है और उसकी गणना की जाती है। दुनिया में अलग-अलग NGO अपने पैमाने के हिसाब से ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी करते हैं। WHO अपना हंगर इंडेक्स अलग से जारी करता है। अभी जो हंगर इंडेक्स आया है उसे यूरोप के दो NGO Concern Worldwide और Welthungerhilfe ने मिलकर जारी किया है। इस इंडेक्स की रिपोर्ट तैयार करने के लिए डेटा संयुक्‍त राष्‍ट्र (UN) के अलावा यूनिसेफ, फूड एंड एग्रीकल्‍चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) समेत कई एजेंसियों से लिया गया है।

किस आधार पर तैयार होता है हंगर इंडेक्‍स?

ग्‍लोबल हंगर इंडेक्‍स (GHI) तैयार करने के लिए WHO के तीन पैमाने हैं- खाने की कमी, बच्‍चों के पोषण स्‍तर में कमी और बाल मृत्‍यु-दर। Concern Worldwide और Welthungerhilfe ने चार पैमानों पर देशों को रैंक किया है। ये हैं- अंडरनरिशमेंट, चाइल्‍ड स्‍टंटिंग, चाइल्‍ड वेस्टिंग और चाइल्‍ड मॉर्टलिटी यानी अल्पपोषण, बाल बौनापन, बाल अपव्यय और बाल मृत्यु दर।

विपक्ष ने सरकार को घेरा

भूख सूचकांक में भारत की स्थिति को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। 

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘2014 के बाद से वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की खतरनाक, तेज गिरावट। मोदी सरकार भारत के लिए विनाशकारी है। ‘बफर स्टाक’ से ऊपर बेहद कम खाद्य भंडार की वजह से महंगाई बढ़ रही है। 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।’’ 

कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम ने कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री बच्चों में कुपोषण, भूख, नाटेपन और ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ जैसे वास्तविक मुद्दों से कब निपटेंगे? भारत में 22.4 करोड़ लोगों को अल्पपोषित माना जा रहा है।’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘2014 के बाद से मोदी सरकार के आठ वर्ष में हमारा ‘स्कोर’ खराब हुआ है, 16.3 प्रतिशत भारतीय अल्पपोषित हैं जिसका मतलब है कि उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है। हिंदुत्व, हिंदी थोपना और नफरत फैलाना भूख मिटाने की दवा नहीं है।’

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