भारत अपनी क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली ‘नाविक’ का दायरा बढ़ाने पर योजना बना रहा है। इस योजना के विस्तार से नागिरक क्षेत्र और देश की सीमाओं से दूर यात्रा करने वाले जहाजों और विमानों द्वारा उपयोग बढ़ाया जा सके। ‘नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन’ (नाविक) भारत में वास्तविक समय में स्थिति और समय से जुड़ी सेवाएं प्रदान करने के लिए सात उपग्रहों का उपयोग करता है।
यह सेवा भारत में और देश की सीमाओं से 1,500 किलोमीटर तक के क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध होती है। हालांकि, कॉन्स्टेलेशन के कई उपग्रहों का एक्सपायर होने का समय आ गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब इनमें से कम से कम पांच को बेहतर एल-बैंड से बदलने की योजना बना रहा है। इससे ये लोगों को बेहतर ग्लोबल पोजिशनिंग सर्विसेज (जीपीएस) प्रदान करने में सक्षम बन जाएंगे।
सात उपग्रह विफल हो गए
इसरो के अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने यहां एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमारे पास उत्पादन में पांच और उपग्रह हैं, निष्क्रिय उपग्रहों को बदलने के लिए उन्हें समय-समय पर प्रक्षेपित किया जाना है। नये उपग्रहों में एल-1, एल-5 और एस बैंड होंगे।’’ सोमनाथ ने आगे बताया कि ‘सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन’ द्वारा आयोजित इंडिया स्पेस कांग्रेस से इतर कहा कि नाविक प्रणाली ‘‘पूर्ण परिचालन स्थिति’’ में नहीं है क्योंकि इसके सात उपग्रहों में से कुछ विफल हो गए हैं। सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी ने नाविक की पहुंच का विस्तार करने के लिए मध्यम पृथ्वी कक्षा (एमईओ) में अतिरिक्त 12 उपग्रहों प्रक्षेपित करने की अनुमति के लिए सरकार से भी संपर्क किया है।
नए उपग्रहों को एल-1 बैंड लैस
वर्तमान में नाविक द्वारा उपयोग किए जाने वाले सात उपग्रहों में से तीन भूस्थैतिक कक्षा में हैं और चार भूसमकालिक कक्षा में हैं। साथ ही, उपग्रहों का वर्तमान समूह एल-5 बैंड और एस बैंड में काम करता है, जिनका उपयोग परिवहन और विमानन क्षेत्रों के लिए किया जाता है। सोमनाथ ने कहा, ‘‘हमें नये उपग्रहों को एल-1 बैंड से लैस करना होगा, जो सार्वजनिक उपयोग के लिए एक विशिष्ट जीपीएस बैंड है। हमारे पास यह नाविक में नहीं है। यही कारण है कि यह नागरिक क्षेत्र में आसानी से प्रवेश नहीं कर पाया है।’’
सरकारी उपग्रह की जरुरत
इसरो अध्यक्ष ने कहा कि नाविक के लिए बनाए जा रहे नये उपग्रहों में विभिन्न उपयोग, विशेष रूप से रणनीतिक क्षेत्र के लिए सिग्नल की सुरक्षा के लिए बेहतर सुविधाएं होंगी। सोमनाथ ने कहा, ‘‘वर्तमान में, सरकार द्वारा आवश्यक सभी उपग्रह इसरो द्वारा निर्मित किए जाते हैं। यदि एक सरकारी उपग्रह की आवश्यकता है, तो इसे एक निजी आपूर्तिकर्ता से निर्मित क्यों न करायें और इसे प्रक्षेपित करने के लिए इसरो लॉन्चर का उपयोग करें।’’ उन्होंने कहा कि उपग्रह निर्माण क्षेत्र में उद्योग क्षमता सृजित करने की जरूरत है। सोमनाथ ने जीएसएलवी-एमके-तीन या एलवीएम3 रॉकेट के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया जिसने रविवार तड़के 36 उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया था।