तेजपुर: असम के सोनितपुर जिले में भारत के सबसे उम्रदराज पालतू हाथी की सोमवार को 89 साल की उम्र में मौत हो गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। अधिकारियों ने बताया कि बिजुली प्रसाद नाम के इस विशाल हाथी ने आयु संबंधी समस्याओं के चलते तड़के करीब साढ़े तीन बजे 'द विलियम्सन मेगर ग्रुप' के बेहली चाय बागान में आखिरी सांस ली। बिजुली प्रसाद से जुड़े लोगों, चाय बागान कर्मियों और स्थानीय निवासियों ने उसकी मौत पर दुख प्रकट किया है।
चाय बागान के एक अधिकारी ने कहा, 'बिजुली प्रसाद 'द विलियम्सन मेगर ग्रुप' के लिए गौरव का प्रतीक था। इसे एक बच्चे के तौर पर पहले बारगंग चाय बागान लाया गया था और जब कंपनी ने बारगंग चाय बागान बेच दिया तो इसे यहां लाया गया।' उन्होंने कहा कि हाथी चाय बागान में शाही जीवन जी रहा था।
89 साल थी हाथी की आयु
अनुमान के अनुसार, हाथी की आयु 89 साल थी। पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित और हाथियों के प्रख्यात सर्जन डॉक्टर कुशल कोंवर शर्मा ने कहा, “जहां तक मुझे जानकारी है, बिजुली प्रसाद भारत का सबसे अधिक उम्र का पालतू हाथी था।” उन्होंने कहा कि आमतौर पर जंगली एशियाई हाथी 62 से 65 साल तक जीते हैं जबकि पालतू हाथी को अगर अच्छी देखभाल मिले तो वह 80 साल तक जी सकता है।
शर्मा ने कहा, 'आठ-दस साल पहले बिजुली प्रसाद के सभी दांत झड़ गए थे, जिसके बाद वह कुछ खा नहीं पा रहा था और मरने वाला था। मैं वहां गया और उसका इलाज किया। मैंने उसका पूरा नियमित भोजन बदलवा दिया और उसे ज्यादातर उबला हुआ भोजन जैसे चावल और उच्च प्रोटीन वाला सोयाबीन दिया जाने लगा। इससे उसकी उम्र बढ़ गई।' बेहली चाय बागान के एक अधिकारी ने कहा कि हाथी को हर दिन 25 किलो भोजन दिया जाता था। (इनपुट: भाषा)
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