IMD Update: स्काईमेट वेदर ने कहा था कि इस साल सामान्य से कम बारिश होगी और सूखा पड़ने की संभावना है। तो वहीं, भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा और इसके 96 प्रतिशत (+/-5% ) रहने की संभावना है। वहीं मौसम विभाग ने ये भी कहा है कि इस साल देशभर में 83.7 मिलीमीटर बारिश होगी।विभाग ने कहा कि जुलाई के आसपास एल-नीनो कंडीशन रह सकती है, लेकिन मॉनसून के साथ एल-नीनो का सीधा संबंध नहीं रहेगा।
बता दें कि प्रशांत महासगार में पेरू के पास सतह का गर्म होना अल नीनो कहलाता है। अल नीनो की वजह से समंदर के तापमान, वायुमंडल में बदलाव होता है और इस बदलाव की वजह से समंदर का तापमान 4-5 डिग्री तक बढ़ जाता है। अल नीनो की वजह से पूरी दुनिया के मौसम पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
डॉ मृत्युंजय महापात्र, मौसम विज्ञान महानिदेशक, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि अल नीनो की स्थिति मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है और इसका प्रभाव मौसम की दूसरी छमाही के दौरान देखा जा सकता है:।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम. रविचंद्रन के मुताबिक, प्रायद्वीपीय क्षेत्र, इससे सटे पूर्वी, पूर्वोत्तरी क्षेत्रों के कई हिस्सों में तथा उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य बारिश हो सकती है। जितने साल भी अल नीनो सक्रिय रहा है, वे मानसून के लिहाज़ से बुरे वर्ष नहीं थे। उन्होंने कहा कि अल नीनो की स्थितियां मानसून के दौरान विकसित हो सकती हैं और मानसून के दूसरे चरण में इसका असर महसूस हो सकता है।
आईएमडी के मुताबिक, सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव स्थितियां दक्षिण पश्चिम मानसून ऋतु के दौरान विकसित हो सकती हैं। अल नीनो की स्थितियां मानसून के दौरान विकसित हो सकती हैं और मानसून के दूसरे चरण में इसका असर महसूस हो सकता है।
बता दें कि स्काईमेट वेदर ने कहा था कि इस साल अल नीनो की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका जताई है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश पर इसका बेहद बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। आईएमडी के मुताबिक अल नीनो के कारण भारत में रिकॉर्ड स्तर पर गर्मी की ताप झेलनी पड़ सकती है और सूखे की मार झेलनी पड़ सकती है.।