भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने कहा है कि भारत अपने राष्ट्रीय हित का पालन कर रहा है और रूस की स्थिति का भारत को लाभ मिल रहा है। इस कड़ी में भारत को कोई दोष नहीं दे सकता है। उन्होंने बताया कि हमने सीखा है कि सैंक्शन यानी प्रतिबंधों से कैसे निपटा जाए। न केवल तेल के निर्यात में बल्कि पैसों के हस्तांतरण में भी। ईरानी राजदूत ने आगे कहा कि ईरान एक तेल उत्पादक देश है. इसलिए तेल हमारी अर्थव्यवस्था के लिए अहम है। ईरान पर पिछले कई सालों से कई देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए गए हैं, बावजूद हमने तेल उत्पादों को बेचने के तरीके खोजे हैं।
भारत को हो रहा रूस की स्थिति का फायदा
ईरानी राजदूत ने इस मामले पर आगे कहा कि हम भारत को हमेशा से तेल निर्यात करने को लेकर तत्पर हैं। लेकिन यह पूरी तरह भारत पर निर्भर कर रहा है। क्योंकि प्रतिबंध लगाए जाने वाले देशों की संख्या दिन पर दिन लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सभी देशों को यह सीखना चाहिए कि प्रतिबंधों के तहत कैसे रहा जाए और नए तरीकों से तेल उत्पादों का निर्यात किया जाए वरना वो अपनी रूचि खो देंगे। उन्होंने कहा कि ईरान और सऊदी अरब दोनों इस्लामी दुनिया के दो स्तंभ हैं और एशिया के पश्चिम में दो शक्तियां हैं।
चाबहार पोर्ट है स्वर्ण द्वार
गौरतलब है कि 10 फरवरी के दिन ईरानी राजदूत ने कहा था कि ईरान और भारत दोनों नेचुरल पार्टनर हैं। भारत और ईरान के संबंधों को लेकर राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम में राजदूत ने बारत को लेकर कहा कि ईरान गणराज्य के लिए भारत का विशेष महत्व है। बीते दिनों ईरान के राष्ट्रपति और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच हुई मुलाकात इस बात का प्रमाण है। इराज इलाही ने आगे कहा कि भारत और ईरान के बीच ऊर्जा का व्यापार एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। भारत और ईरान के सहयोग का उदाहरण है कनेक्टिविटी। इसी संदर्भ में चाबहार पोर्ट को एक स्वर्ण द्वार के रूप में देखा जा सकता है जो कि हिंद महासागर से सटे देशों को मध्य एशिया तक जोड़ सकता है।