Missile Destroyer INS Mormugao: वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने अपने सबसे घातक बाहुबली आइएनएस मोर्मुगाओ को हिंद महासागर में उतार दिया है। इस मिसाइल विध्वंसक के आने से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ने वाली है। रविवार को इसे नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा। इससे हिंद महासागर में अब चीन भारत के सामने दादागीरी नहीं कर पाएगा। भारतीय नौसेना के बेड़े में इस मिसाइल विध्वंसक समुद्री युद्धपोत को देखकर चीन और पाकिस्तान में खलबली मच गई है।
भारत ने इसे हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी के बीच अपनी समुद्री क्षमता को बढ़ावा देने के लिए उतारा है। ‘INS Mormugao’ स्वदेश निर्मित मिसाइल विध्वंसक है। अब दो दिन बाद इसको भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। भारतीय नौसेना के अनुसार यह युद्धपोत दूरसंवेदी उपकरणों, आधुनिक रडार और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल जैसी हथियार प्रणालियों से लैस है। इस युद्धपोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर तथा वजन 7,400 टन है।
भारत में निर्मित सबसे घातक युद्धपोत है ‘INS Mormugao’
नौसेना के मुताबिक इसे भारत द्वारा निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में गिना जा सकता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड में इस युद्धपोत का जलावतरण करेंगे। पश्चिमी तट पर स्थित ऐतिहासिक गोवा बंदरगाह शहर के नाम पर मोर्मूगाओ नाम रखा गया है। संयोग से यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को समुद्र में उतरा था, जिस दिन पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुये थे। चार ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के विध्वंसकों में से दूसरे विध्वंसक को नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया जायेगा। इसकी डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन ने तैयार की है और निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है।
30 समुद्री मील की गति और कई तरह के रॉकेट लांच करने में सक्षम
इस युद्धपोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइन से गति मिलती है। पोत 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है। नौसेना ने कहा कि पोत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है। इसमें रॉकेट लॉन्चर, तारपीडो लॉन्चर और एसएडब्लू हेलीकॉप्टर की व्यवस्था है। पोत आणविक, जैविक और रासायनिक युद्ध परिस्थितियों के दौरान लड़ने में सक्षम है। भारत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दुस्साहस पर चिंताओं की पृष्ठभूमि में हिंद महासागर पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अपनी समुद्री क्षमता को बढ़ा रहा है। नौसेना ने कहा, ‘‘इस पोत की विशेषता यह है कि इसमें लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा पूर्ण रूप से स्वदेशी है और इसे हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत निर्मित किया गया है। आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण के दृढ़ निश्चय के साथ 44 पोतों और पनडुब्बियों में से 42 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है। इसके अलावा, 55 पोतों और पनडुब्बियों के निर्माण के लिये आदेश जारी किये जा चुके हैं। इनका निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जायेगा। इससे नौसेना की ताकत और भी कई गुना बढ़ जाएगी। आइएनएस विक्रांत और विक्रमादित्य पहले से ही नौसेना की शान बढ़ा रहे हैं।