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India-china News: अफगानिस्तान में भारत की अहमियत समझ गया चीन, चर्चा के लिए दिल्ली भेजा विशेष दूत

India-china News: भले की पाकिस्तान चीन का पिट्ठू हो, लेकिन उसे पता चल गया ​है कि अफगानिस्तान में भारत के बिना काम नहीं चलेगा। इसलिए चीन ने अफगानिस्तान के लिए विशेष दूत भारत भेजा है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: August 06, 2022 10:58 IST
India-China Talks- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO India-China Talks

Highlights

  • चीन ने पहली बार अफगानिस्तान मुद्दे के लिए विशेष राजदूत भेजा
  • अफगानिस्‍तान को आतंकवाद की नर्सरी बनने नहीं देंगे, बैठक में सहमति
  • चीन की ओर से हुई यूई के दौरे की पेशकश

India-china News: अफगानिस्तान में तालिबान ने भले ही सत्ता हासिल कर ली हो, लेकिन भारत ने हाल ही में अफगानिस्तान को अनाज भेजकर और तालिबानी हुक्मरानों से बात करके यह जता दिया है कि वह अफगानिस्तान की आम जनता की परेशानियों में अभी भी उनके साथ खड़ा है। यह बात अब चीन भी समझ गया है। भले की पाकिस्तान उसका पिट्ठू हो, लेकिन उसे पता चल गया ​है कि अफगानिस्तान में भारत के बिना काम नहीं चलेगा। इसलिए चीन ने अफगानिस्तान के लिए विशेष दूत भारत भेजा है। दरअसल, 2021 में काबुल पर तालिबान के कब्जे से पहले भारत और चीन यहां साथ मिलकर काम करने की सोच रहे थे। अब अफगानिस्तान के लिए चीन द्वारा अपने दूत को भारत भेजना इस बात को बताता है कि अफगानिस्तान में भारत के बिना काम नहीं चलेगा।  

चीन और भारत के बीच बातचीत में 'कॉमन' मुद्दा क्या

अफगानिस्‍तान पर बैठक में भारत और चीन ने वहां आम महिला वर्ग और बच्‍चों की दयनीय स्थिति, मानवीय सहायता और आतंकवाद पर बात की। बातचीत के दौरान भारत और चीन दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने इस बात पर एकराय जताई कि अफगानिस्‍तान को क्षेत्र के देशों के लिए आतंकवाद की नर्सरी बनने नहीं दिया जा सकता। भारत की चिंता जैश-ए-मोहम्‍मद और लश्‍कर-ए-तैयबा जैसे गुटों को लेकर है। वहीं चीन की नजरें East Turkestan Islamic Movement यानी ETIM पर हैं जो जिनजियांग प्रांत में सक्रिय है।

चीन ने पहली बार अफगानिस्तान मुद्दे पर विशेष राजदूत भेजा

अफगानिस्‍तान के लिए चीन के विशेष राजदूत यूई जियाओयोंग पहली बार भारत आए हैं। तालिबान शासित देश में क्‍या हालात हैं, इसपर चर्चा के लिए उन्‍हें दिल्‍ली भेजा गया। जून 2020 में गलवान में झड़प के बाद दोनों पक्षों का यह दूसरा बड़ा कार्यक्रम रहा। मार्च में चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत के दौरे पर आए थे। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यूई की दिल्‍ली यात्रा इसलिए अहम है क्‍योंकि बीजिंग को समझ आ गया है कि भले ही पाकिस्‍तान चीन का पिछलग्गू है, लेकिन अफगानिस्तान में कोई भी काम करना हो तो वह बिना भारत की उपस्थिति के नहीं किया जा सकता।  

चीन की ओर से हुई यूई के दौरे की पेशकश

इस दौरे की पेशकश चीन की तरफ से हुई थी, जो अफगानिस्‍तान में भारत के स्‍टैंड को और मजबूत करता है। यूई ने विदेश मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव जेपी सिंह से बातचीत की। सिंह पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान और ईरान के मसले संभालते हैं। बाद में चीन के विशेष राजदूत यूई ने कहा कि दोनों देशों ने 'अफगान शांति और स्थिरता के लिए बातचीत बढ़ाने और सकरात्‍मक ऊर्जा देने' पर सहमति जताई। ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बिगड़ते रिश्‍तों के बीच चीन की भारत के साथ यह बातचीत हुई है।

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