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भारत-चीन 2021: सीमा पर आमने-सामने रहे जवान, व्यापार में टूट गए कई रिकॉर्ड

देखा जाए तो पूरे साल राजनीतिक और सैन्य स्तर पर शांति बहाली की कोशिशें चलती रहीं लेकिन अभी तक किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा नहीं जा सका है।

Written by: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Updated on: December 28, 2021 18:43 IST
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Image Source : INDIA TV एशिया के 2 सबसे बड़े देशों, भारत और चीन, के बीच संबंधों में हाल के वर्षों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।

Highlights

  • भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार ने 100 अरब डॉलर के ऐतिहासिक आंकड़े को पार कर लिया।
  • भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार की शुरुआत 2001 में 1.83 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था।
  • जनवरी से नवंबर 2021 के बीच भारत और चीन में 114.263 अरब डॉलर का व्यापार हुआ।

नई दिल्ली: एशिया के 2 सबसे बड़े देशों, भारत और चीन, के बीच संबंधों में हाल के वर्षों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। दोनों ही देश प्राचीन सभ्यताओं का केंद्र रहे हैं, इन दोनों ही देशों की संस्कृतियों का किसी न किसी रूप में पूरी दुनिया में प्रभाव देखने को मिलता है, और पड़ोसी होने के बावजूद दोनों के बीच दूरी कम नहीं है। 2021 की बात की जाए तो चीन द्वारा समझौतों का उल्लंघन करने के बाद पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के चलते दोनों देशों के बीच हाल में आई कड़वाहट में कुछ खास कमी तो देखने को नहीं मिली, लेकिन उनके द्विपक्षीय व्यापार ने 100 अरब डॉलर के ऐतिहासिक आंकड़े को पार कर लिया।

2001 में हुई थी द्विपक्षीय व्यापार की शुरुआत

भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार की शुरुआत 2001 में हुई थी। तब दोनों देशों के बीच 1.83 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। आज 20 साल बाद दोनों देशों के बीच व्यापार ने 100 अरब डॉलर (7.40 लाख करोड़ रुपये) का आंकड़ा पार कर लिया। व्यापारिक नजरिए से देखा जाए तो यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, लेकिन व्यापार को छोड़ दिया जाए तो दोनों देशों के बीच किसी भी मोर्चे पर बेहतर रिश्ते देखने को नहीं मिले। पिछले कुछ सालों में दोनों देशों ने व्यापार के जरिए रिश्ते सुधारने की कोशिश की, लेकिन सीमा विवाद और रणनीतिक प्रतिद्वंदिता के चलते इसमें कुछ खास सुधार देखने को नहीं मिला।

आंकड़ों में कैसा दिखते हैं दोने के व्यापारिक रिश्ते
जनवरी से नवंबर 2021 के बीच भारत और चीन में 114.263 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। पिछले साल से तुलना की जाए तो इसमें सालाना आधार पर 46.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। भारत से चीन के लिए 26.358 अरब डॉलर का निर्यात हुआ और सालाना आधार पर इसमें 38.5 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली। वहीं, चीन से भारत का आयात 87.905 अरब डॉलर तक पहुंच गया जो कि सालाना आधार पर 49 प्रतिशत ज्यादा है। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि पहले 11 महीनों से संबंधित व्यापार घाटा 53.49 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 61.547 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

सीमा पर तनाव में नहीं देखने को मिली खास कमी
बॉर्डर पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध 5 मई 2020 को शुरू हुआ था। यही वह तारीख थी जब पैंगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प की शुरुआत हुई थी। इसके बाद छोटी-मोटी झड़पें होती रहीं, लेकिन 15 जून 2020 को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में जहां एक कर्नल समेत भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए, वहीं चीन के भी काफी सैनिक मारे गए। इसके बाद दोनों देशों के संबंधों में खटास बढ़ती चली गई। 2021 में भी इस खटास में कुछ खास कमी देखने को नहीं मिली है।

पीछे हटीं सेनाएं लेकिन अभी भी है भारी तैनाती
कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अगस्त में गोगरा इलाके में और फरवरी में पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिण तट क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा किया था। दोनों देशों द्वारा उठाए गए इस कदम को इलाके में अमन कायम करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया, हालांकि हकीकत यह है कि अभी भी LAC पर भारत और चीन के 50-50 हजार सैनिक आमने-सामने हैं।

हाल ही में वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय वायुसेना अपनी तैनाती जारी रखे हुए है क्योंकि चीन के साथ गतिरोध अभी भी बना हुआ है। चौधरी ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर एयरफोर्स सैनिकों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए तैयार है। इस तरह देखा जाए तो पूरे साल राजनीतिक और सैन्य स्तर पर शांति बहाली की कोशिशें चलती रहीं लेकिन अभी तक किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा नहीं जा सका है।

‘विशेष रूप से खराब दौर से गुजर रहे हैं रिश्ते’
भारत और चीन के बीच हालिया दौर के संबंधों की गवाही विदेश मंत्री एस. जयशंकर का नवंबर में सिंगापुर में दिया गया एक बयान भी देता है। एक पैनल चर्चा के दौरान जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन अपने संबंधों में ‘विशेष रूप से खराब दौर’ से गुजर रहे हैं। उन्होंने चीन पर निशाना साधते हुए कहा था कि बीजिंग ने ऐसे कई कदम उठाए जिनसे समझौतों का उल्लंघन हुआ, लेकिन इसके लिए उसके पास अभी कोई ‘विश्वसनीय स्पष्टीकरण’ नहीं है। उन्होंने परोक्ष तौर पर पूर्वी लद्दाख की सीमा पर जारी गतिरोध की ओर इशारा किया था।

पैनल चर्चा के दौरान जयशंकर ने कहा था, ‘हम अपने रिश्तों में विशेष रूप से खराब दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि उन्होंने समझौतों के उल्लंघन करते हुए कदम उठाए हैं जिसके लिए उनके पास अभी भी कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं है और यह इसको लेकर कुछ पुनर्विचार का संकेत करता है कि वे हमारे रिश्ते को कहां ले जाना चाहते हैं, लेकिन इसको लेकर जवाब उन्हें देना है।’

2022 में भी कम ही है रिश्तों में सुधार की गुंजाइश
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है, और दोनों देशों के बीच भरोसे की भी भारी कमी है, जो कि किसी मजबूत रिश्ते की बुनियाद होती है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चीन के साथ मजबूत संबंधों के हिमायती थे, और उनके ही शासनकाल के दौरान 1950 के दशक में 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' का नारा बुलंद हुआ था। दोस्ती को और मजबूत करने के लिए 1954 में नेहरू चीन भी गए थे। हालांकि कुछ ही साल बाद 1962 में उनके 'दोस्त' माओ त्से तुंग ने पीठ में छुरा घोंप दिया और इसके साथ ही दोनों देशों के बीच पनपे भरोसे की भी खून हो गया। व्यापार को छोड़ दिया जाए तो 2022 में भी दोनों देशों के बीच किसी अन्य मोर्चे पर रिश्तों में जान आने की गुंजाइश कम ही दिखाई देती है।

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