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चंद्रयान-3 और लूना-25 दोनों चांद के दक्षिणी हिस्से पर उतरेंगे, फिर भी दोनों मिशन पूरी तरह से हैं अलग, जानिए कैसे

रूस ने 47 बाद लूना-25 के रूप में अपना अभियान लॉन्च कर दिया है। शुक्रवार तड़के स्थानीय समय के मुताबिक 2 बजकर 11 मिनट पर बोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लूना-25 को लॉन्च किया गया। रूस का यह यान चांद के दक्षिणी हिस्से पर लैंड कर सकता है।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published : Aug 11, 2023 14:43 IST, Updated : Aug 11, 2023 14:44 IST
India's Chandrayaan-3, Russia's Luna-25 mission
Image Source : INDIA TV भारत का चंद्रयान-3 और रूस का लूना-25 मिशन

नई दिल्ली: भारत के बाद अब रूस भी चांद पर अपना झंडा गाड़ने वाला है। इसके लिए रूस ने लूना-25 मिशन लॉन्च किया है।  47 वर्षों में यह रूस का पहला मिशन है। इससे पहले जब यह सोवियत संघ था तब 18 अगस्त 1976 को लूना 24 मिशन चांद पर उतरा था। अगर सब कुछ प्लान के अनुसार जाता है तो लूना-25 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी हिस्से पर लैंड कर सकता है। इस मिशन को 11 अगस्त को स्थानीय समयानुसार सुबह 8.10 बजे लॉन्च किया गया। 

दोनों का मिशन चांद का दक्षिणी ध्रुव 

वहीं इससे पहले भारत ने भी चंद्रयान-3 जुलाई में लॉन्च किया था और प्लान के अनुसार भारत का चंद्रयान भी 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की योजना है। चंद्रयान ने चंद्रमा की कक्षा में इसी सप्ताह प्रवेश कर लिया है। पूरी दुनिया अब दोनों देशों के इन मिशनों पर नजर गड़ाए हुए हैं। अगर यह मिशन सफल हो जाते हिं तो आगे के कई संभावनाएं खुल जाएंगी।

लूना-25 में क्या होगा ख़ास?

रूस के लूना-25 में लैंडिंग रॉकेट, प्रोपेलेंट टैंक, सोलर पैनल, कंप्यूटर और चांद की मिट्टी खोदने वाली एक रोबोटिक आर्म होगा। लूना एक वर्ष तक चंद्रमा की ध्रुवीय मिट्टी की संरचना और बहुत ही पतले चंद्र बाह्यमंडल या चंद्रमा के अल्प वातावरण में मौजूद प्लाज्मा और धूल का अध्ययन करेगा। बता दें कि इससे पहले यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने रूस की स्पेस एजेंसी के साथ लूना 26, लूना 27 और मंगल ग्रह के रोवर पर एकसाथ काम करने की योजना बनाई थी। लेकिन रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद इस पर ब्रेक लग गया। इसके बाद रूस ने अकेले ही इस मिशन को आगे बढ़ाने की ठान ली। 

 भारत ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को  किया था लॉन्च

वहीं इससे पहले भारत ने भी 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था। इसके भी 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करने की योजना है। अगर हम भारत के चंद्रयान मिशन की बात करें तो यह रूस के लूना-25 से काफी अलग है। जहां लूना-25 एक साल तक चंद पर रहेगा तो वहीं भारत का चंद्रयान सिर्फ 14 दिनों तक चंद की सतह पर रहेगा। वहीं आपको बता दें कि रूस के लूना-25 में रोवर नहीं लगा है। इसलिए अगर यह भारत से पहले चांद पर लैंड भी कर जाता है तो दक्षिणी ध्रुव पर रोवर चलाने वाला पहला देश भारत ही बनेगा। 

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