India-Taiwan: ताइवान के अनौपचारिक राजदूत बौशुआन गेर ने क्षेत्र में चीन के आक्रामक रुख का जिक्र करते हुए रविवार को कहा कि भारत और ताइवान को ‘निरंकुशता’से खतरा है और अब वक्त आ गया है कि दोनों पक्ष (भारत और ताइवान) ‘रणनीतिक सहयोग’ करें। गेर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में क्षेत्र में तनाव बढ़ने के लिए पूर्वी तथा दक्षिण चीन सागर, हांगकांग और गलवान घाटी में चीन के कदमों का हवाला देते हुए कहा कि ताइवान और भारत को ‘निरंकुशता के विस्तार को रोकने’ के लिए हाथ मिलाने की आवश्यकता है। अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की अगस्त में हाई-प्रोफाइल ताइवान यात्रा के बाद से चीन ने 2.3 करोड़ से अधिक की आबादी वाले इस स्व-शासित द्वीप के खिलाफ सैन्य आक्रामकता तेज कर दी है, जिससे वैश्विक चिंता पैदा हो गयी है।
चीन, ताइवान को अपना हिस्सा बताता है
दरअसल, चीन, ताइवान को अपना हिस्सा बताता है और उसने पेलोसी की ताइवान यात्रा पर कड़ी नाराजगी जतायी थी। गेर ने कहा कि ताइवान पेलोसी की यात्रा के जवाब में चीन की सैन्य आक्रामकता के मद्देनजर ताइवान की खाड़ी में न्याय, शांति और स्थिरता के लिए खड़े रहने के वास्ते भारत की सराहना करता है।
भारत और ताइवान दोनों को निरंकुशता से खतरा
उन्होंने कहा, ‘‘भारत और ताइवान दोनों को निरंकुशता से खतरा है इसलिए दोनों पक्षों के बीच घनिष्ठ सहयोग न केवल वांछनीय, बल्कि आवश्यक है। मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि हम रणनीतिक साझेदारी करें। व्यापार और तकनीकी सहयोग बढ़ाने के साथ इसकी शुरुआत की जा सकती है।’’