Highlights
- 20 मई, 1498 को कालीकट में वास्को डी गामा आया
- 7 साल बाद अंग्रेजों को सर थॉमस रो के नेतृत्व में सूरत में एक कारखाना बनाने को अनुमति मिला
- 1857 के विद्रोह के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त
75 years of independence: इस साल आजादी के 75 साल पूरे होने वाले हैं। इसी उपलक्ष में हम आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से आजाद हो गया था। क्या आपको पता है कि अंग्रेजों ने कैसे भारत में अपनी जगह बनाई और किस जगह पहला कदम रखा था। अगर आप नहीं जानते हैं तो चलिए हम आपको पूरी जानकारी देते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी मुख्य रूप से मसालों के व्यापार के उद्देश्य से भारत आई थी। इसके अलावा वे रेशम, कपास, नील रंग, चाय और अफीम का भी व्यापार में भी अपनी पकड़ बना लिया था। 20 मई, 1498 को कालीकट में वास्को डी गामा के आगमन ने यूरोप से पूर्वी एशिया के लिए एक समुद्री मार्ग रास्ता मिल गया था। उसके बाद भारत यूरोप के व्यापार के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया।
तीन प्रेसीडेंसी शहर बसाया
अंग्रेज भारतीय उपमहाद्वीप पर व्यापार के उद्देश्य से 24 अगस्त 1608 ई. को सूरत बंदरगाह पर उतरे। 7 साल बाद अंग्रेजों को सर थॉमस रो के नेतृत्व में सूरत में एक कारखाना स्थापित करने का आदेश मिला। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी को भी मसूलीपट्टनम में अपना दूसरा कारखाना स्थापित करने के लिए विजयनगर साम्राज्य से इसी तरह की अनुमति मिली। धीरे-धीरे अंग्रेजों ने अन्य यूरोपीय व्यापारिक कंपनी को ग्रहण कर लिया और इन वर्षों में उन्होंने भारत में अपने व्यापार को तेजी से फैलाया। अंग्रेंजों ने भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर कई व्यापारिक चौकियाँ स्थापित किया और तीन प्रेसीडेंसी शहरों कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास को तेजी से विकसित किया। वे मुख्य रूप से रेशम, इंडिगो डाई, कपास, चाय और अफीम का व्यापार करते थे। कंपनी ने कोलकाता में एक कारखाना स्थापित करके भारत के पूर्व में अपनी उपस्थिति फैला दी, जिसके बाद लगभग लगभग भारत के हर हिस्सों पर पकड़ बना लिया।
1857 के विद्रोह के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त
ईस्ट इंडिया कंपनी ने महसूस किया कि संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप प्रांतीय राज्यों में बिखरा हुआ है इसलिए सभी संसाधनों को केंद्रित करने के बारे में सोचना शुरू कर दिया। जिसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। यहीं से यूद्ध की शुरूआत हो गई थी। सैन्य अधिकारी रॉबर्ट क्लाइव ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सेना को युद्ध में हरा दिया। 1857 के विद्रोह के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हो गया। इस विद्रोह से भारत से ईस्ट इंडिया कंपनी के खत्म तो गया लेकिन ब्रिटिश हुकूमत ने पूरे भारत में अपना दबदबा बना लिया और अपने नियत्रंण में कर लिया है
ईस्ट इंडिया कंपनी का ब्रिटिश सरकार से कोई सीधा संबंध नहीं था
ब्रिटिश ज्वाइंट स्टॉक कंपनी यानी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना जॉन वाट्स और जॉर्ज व्हाइट ने 1600 ईस्वी में दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के साथ व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए की थी। ये संयुक्त स्टॉक कंपनी के शेयर मुख्य रूप से ब्रिटिश व्यापारियों और अभिजात वर्ग के स्वामित्व में थे। ईस्ट इंडिया कंपनी का ब्रिटिश सरकार से कोई सीधा संबंध नहीं था