नई दिल्ली: देश अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। पूरा देश आजादी के पर्व में डूबा हुआ है। देशभर में आजादी के कार्यक्रम रखे गए हैं। मुख्य कार्यक्रम देश की राजधानी दिल्ली में होता है। जहां प्रधानमंत्री लाल किला पर ध्वजारोहण करते हैं। इस बार भी यही परम्परा निभाई गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार दसवीं बार लाल किला पर पर ध्वजारोहण किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 15 अगस्त को 26 जानवरों दोनों अवसर पर झंडे को लेकर अलग-अलग नियम हैं।
जानिए दोनों में क्या है अंतर?
आपने झंडे को लेकर दो शब्द अक्सर सुने होंगे। एक ध्वजारोहण और दूसरा झंडा फहराना। आप सोच रहे होंगे कि दोनों एक ही शब्द ही तो हैं। अगर आप भी ऐसा ही सोच रहे हैं तो आप गलत हैं। दरअसल दोनों में बड़ा अंतर है। 15 अगस्त को जब तिरंगे को नीचे से रस्सी के माध्यम से खींचकर फहराया जाता है, तो इसे ध्वजारोहण कहते हैं। वहीं 26 जनवरी में तिरंगा ऊपर ही बंधा होता है, जिसे पूरा खोलकर फहराया जाता है। इसे झंडा फहराना कहते हैं। शायद अब आप समझ गए होंगे कि 15 अगस्त पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और 26 जनवरी पर राष्ट्रपति तिरंगा झंडा फहराते हैं।
ध्वजारोहण करने के नियम
बता दें कि राष्ट्रीय ध्वज के लिए संविधान में कई नियम हैं। इन्हें भारतीय ध्वज सहिंता के भाग दो के पैराग्राफ 2.2 खंड (XI) प्रस्थापित किया गया है। ध्वजारोहण के नियमों के अनुसार, भारतीय झंडा हाथ से काते गए, हाथ से बुने गए ऊनी/ सूती/ सिल्क या खादी के कपड़े से बना होना चाहिए। वहीं झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 ही होना चाहिए। इसके साथ ही ध्वजारोहण करते समय झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराना चाहिए। इसके साथ ही किसी को सलामी देने के लिए तिरंगे को झुकाया नहीं जा सकता। राष्ट्रीय ध्वज में किसी तरह की तस्वीर, पेंटिंग या फोटोग्राफ का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए नहीं किया जा सकता तिरंगे का प्रयोग
फटा हुआ और मैला झंडा प्रदर्शित नहीं कर सकते। ध्वज के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए नहीं किया जा सकता है। कागज के झंडे का चलन है लेकिन इस तरह के झंडे बाद में लोग फेंक देते हैं, ये पैरों के नीचे या कूड़े के ढेर में दिखाई देते हैं, जो राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है।कागज का तिरंगा उपयोग कर रहे हैं तो बाद में उसे मर्यादित तरीके से एकांत में रख दें।
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