Highlights
- पहली बार 1911 में गाया गया राष्ट्रगान
- राष्ट्रकवि रवींद्रनाथ टैगोर हैं गीत के रचयिता
- गीत को गाने में 52 सेकंड का समय लगता है
Independence Day 2022: इस साल हमारा देश 75वां स्वंतत्रता दिवस मना रहा है। इस दौरान आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इस खास दिन स्कूल से लेकर विभिन्न कार्यक्रमों तक में राष्ट्रगान 'जन गण मन' गाया जाएगा। इस साल भी पूरा देश एकजुट होकर 15 अगस्त वाले दिन राष्ट्रगान गाएगा। जब भी ये गीत बजता है, तो हर कोई इसके सम्मान में तुरंत खड़ा हो जाता है। लोगों के दिल में देशभक्ति के जज्बाद पैदा होने लगते हैं। पहली बार भारत का राष्ट्रगान 27 दिसंबर, 1911 में कोलकाता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था।
राष्ट्रगान के रचयिता राष्ट्रकवि रवींद्रनाथ टैगोर थे। जबकि इसे गाया उनकी भांजी सरला ने था। उन्होंने स्कूल के बच्चों के साथ गीत को बंगाली और हिंदी भाषा में गाया था। ये वही साल था, जब रवींद्रनाथ टैगोर ने इसकी रचना की थी। उन्होंने पहले ये गीत बंगाली भाषा में लिखा था। फिर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुरोध पर आबिद अली ने इसका हिंदी और उर्दू में ट्रांसलेशन किया। फिर इसकी अंग्रेजी भाषा में भी रचना की गई थी। राष्ट्रगान सबसे पहले आजाद हिंद सेना का राष्ट्रगान बना था। 1947 में देश के आजाद होने के बाद 24 जनवरी, 1950 में संविधान सभा ने 'जन गण मन' को भारत का राष्ट्रगान घोषित किया था।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में 1947 में भारतीय प्रतिनिधिमंडल से राष्ट्रगान को लेकर जानकारी मांगी गई थी। तब जन गण मन की रिकॉर्डिंग सौंपी गई थी। आज का राष्ट्रगान रवींद्रनाथ टैगोर की लिखी एक कविता से लिया गया था। ये कविता 1911 में लिखी गई थी। कविता के वैसे तो 5 पद थे। लेकिन इसके पहले पद को राष्ट्रगान के तौर पर लिया गया। रवींद्रनाथ टैगोर ने 1919 में ये गीत पहली बार आंध्र प्रदेश के बेसेंट थियोसोफिकल कॉलेज में गया था। तभी कॉलेज प्रशासन ने गीत को सवेरे की प्रार्थन के लिए स्वीकार कर लिया।
क्या है 52 और 20 सेकंड में अंतर?
राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकंड का समय लगता है। वहीं इसकी पहली और आखिरी पंक्ति को गाने में 20 सेकंड का समय लगता है। इसे लेकर कुछ नियम भी बनाए गए हैं। जिनका पालन करना जरूरी है। अगर कोई शख्स इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि भारत पर कब्जे के दौरान 1870 में अंग्रेजों ने अपने गीत 'गॉड सेव द क्वीन' को गाना अनिवार्य किया हुआ था। इससे तत्कालीन सरकारी अधिकारी बंकिमचंद्र चटर्जी को ठेस पहुंची और उन्होंने 1876 में इसके विकल्प के तौर पर संस्कृत और बांग्ला भाषा के मिश्रण के साथ 'वंदे मातरम' गीत की रचना की थी। शुरुआत में इसके केवल दो पद रचे गए। ये दोनों ही संस्कृत भाषा में थे। फिर देश को आजादी मिलने के बाद इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया गया।
राष्ट्रगान से जुड़ी एक खास बात ये भी है कि उसके बोल और धुन खुद रवींद्रनाथ टैगोर ने आंध्र प्रदेश के मदनपल्ली में तैयार किए थे। अगर कोई राष्ट्रगान के नियमों का पालन नहीं करता है और इसका अपमान करता है, तो उसके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 की धारा 3 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।