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Independence Day 2022: 'भारत के बंटवारे के बाद पाकिस्तान में रहना चाहते थे महात्मा गांधी', इसके पीछे ये बेहद खास कारण

Independence Day 2022: महात्मा गांधी भारत के विभाजन और एक सीमा के निर्माण में विश्वास नहीं करते थे। वह हिंदू धर्म के थे और मानते थे कि भारत में सभी धर्मों का सहअस्तित्व होना चाहिए। उन्होंने भारत के विभाजन को थोड़े समय तक रहने वाला पागलपन भी बताया था।

Written By: Shilpa
Published : Aug 09, 2022 14:21 IST, Updated : Aug 09, 2022 14:35 IST
Mahatma Gandhi Pakistan
Image Source : INDIA TV Mahatma Gandhi Pakistan

Highlights

  • देश के बंटवारे को नहीं मानते थे महात्मा गांधी
  • विभाजन के बाद पाकिस्तान जाना चाहते थे गांधी
  • गांधी को दोनों देशों के अल्पसंख्यकों की थी चिंता

Independence Day 2022: भारत इस साल अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है, जिसका जश्न आजादी के अमृत महोत्सव के तौर पर मनाया जा रहा है। 15 अगस्त, 1947 की रात को हमारा देश आजाद हुआ था। लेकिन इसी दौरान हमारे देश का बंटवारा भी हो गया और दुनिया में पाकिस्तान नाम के एक नए मुल्क का जन्म हुआ। ये देश इस्लाम के नाम पर बना था। बहुत से लोगों का ये भी मानना रहा है कि महात्मा गांधी देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार थे। कट्टरपंथी दक्षिणपंथियों का ऐसा मानना ​​है कि महात्मा गांधी ने मुसलमानों को खुश करने की जिन्ना की मांग को स्वीकार कर लिया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महात्मा गांधी आजादी के दौरान खुद भी पाकिस्तान जाना चाहते थे। ये सच है कि गांधी आजादी के बाद हमारे पड़ोसी मुल्क में बसना चाहते थे। लेकिन उनकी इस इच्छा के पीछे कई कारण हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की किताब 'गांधीज हिंदुज्म: द स्ट्रगल मोस्ट जिन्ना इस्लाम' में लिखा है कि महात्मा गांधी 15 अगस्त, 1947 में आजादी का पहला दिन पाकिस्तान में बिताना चाहते थे। उनके ऐसा करने के पीछे का कारण उनका इस्लाम के नाम पर बने पाकिस्तान को समर्थन देना नहीं था। साथ ही ये भी कहा जाता है कि उस वक्त के नेताओं ने महात्मा गांधी की पाकिस्तान यात्रा की घोषणाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया था। 

  
गांधी को बंटवारे पर नहीं था भरोसा

बुक के अनुसार, महात्मा गांधी भारत के विभाजन और एक सीमा के निर्माण में विश्वास नहीं करते थे। वह हिंदू धर्म के थे और मानते थे कि भारत में सभी धर्मों का सहअस्तित्व होना चाहिए। उन्होंने भारत के विभाजन को थोड़े समय तक रहने वाला पागलपन भी बताया था। महात्मा गांधी ने अपनी 1990 में आई किताब हिंद स्वराज में कहा है, 'अगर हिंदू मानते हैं कि वह उसी स्थान पर रहेंगे, जहां केवल हिंदू रहते हैं, तो वह सपनों की दुनिया में जी रहे हैं। भारत को अपना देश बनाने वाले सभी हिंदू, मुसलमान, पारसी और ईसाई हमवतन हैं। एक राष्ट्रीयता और एक धर्म दुनिया के किसी भी हिस्से में पर्यायवाची नहीं है और न ही यह कभी भारत में रहा है।' 

जिन्ना धर्म के नाम पर चाहते थे देश

एक तरफ महात्मा गांधी अपनी हिंदू विचारधारा के साथ मानते थे कि भारत में सभी धर्मों के लोग एक साथ रह सकते हैं। तो दूसरी तरफ जब देश को आजादी मिली, तो मुहम्मद अली जिन्ना ने इस्लाम के नाम पर एक नया देश बनाने की मांग की। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियिम 1947 के तहत दो आधुनिक राष्ट्र बनाए गए, एक भारत और दूसरा पाकिस्तान। यह मुस्लिम राष्ट्र की परिकल्पना के अनुरूप ही था। उस वक्त भारत का बंटवारा भी शांतिपूर्ण तरीके से नहीं हुआ। पाकिस्तान और भारत में बड़े स्तर पर दंगे हुए थे, जिनमें बड़ी संख्या में हिंदू और मुसलमान दोनों ने अपनी जान गंवाई थी। 

महात्मा गांधी पाकिस्तान क्यों जाना चाहते थे?

अब जान लेते हैं कि महात्मा गांधी पाकिस्तान क्यों जाना चाहते थे। एमजे अकबर की किताब के मुताबिक, आजादी के बाद महात्मा गांधी दोनों ही देशों के अल्पसंख्यकों को लेकर चिंतित थे। पाकिस्तान में हिंदू और भारत में मुसलमान अल्पसंख्यक थे। गांधी कई हिंसाग्रस्त इलाकों में गए। किताब में लिखा है, 'गांधी पूर्वी पाकिस्तान के नोआखाली में रहना चाहते थे, जहां 1946 के दंगों में हिंदुओं ने सबसे अधिक अत्याचार झेला था। ऐसा दोबारा न हो, इसलिए गांधी वहां जाना चाहते थे।' किताब में लिखा है कि गांधी ने 31 मई, 1947 में पठान नेता अब्दुल गफ्फार खान (फ्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर थे) से कहा था कि वह पश्चिमी फ्रंटियर का दौरा करना चाहते हैं और आजादी के बाद पाकिस्तान में बसना चाहते हैं। 

किताब के मुताबिक, महात्मा गांधी ने कहा था, 'मैं देश के बंटवारे को नहीं मानता। मैं किसी से इजाजत लेने नहीं जा रहा। अगर वो मुझे इसके लिए मारते हैं, तो मैं हंसते हुए मौत को गले लगाऊंगा। अगर पाकिस्तान बनता है, तो मैं वहां जाना चाहूंगा, और देखूंगा कि वो मेरे साथ क्या करते हैं।'

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