Highlights
- 29 महीनों तक बिना संविधान के चला था देश
- संविधान सभा का गठन किया गया था
- इतने ब्रिटिश व्यवस्था को ही लागू किया गया था
Independence Day 2022: हर साल 15 अगस्त वाले दिन देशभर में धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इस साल आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘अमृत महोत्सव’ मनाया जा रहा है। जो एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है और सभी क्षेत्रों एवं समाज के हर वर्ग के लोग इससे जुड़े अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। हमारा देश साल 1947 में अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था, जिसके बाद से हर साल इस दिन को मनाया जाता है। देशभर के लोग देशभक्ति में सराबोर नजर आते हैं। हमारे देश का संविधान आजाद होने के 29 महीने बाद यानी 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था। इस बीच लोगों के जहन में ये सवाल जरूर आता होगा कि 1947 से 1950 तक बिना संविधान के हमारा देश आखिर कैसे चला होगा?
जब देश 1947 में आजाद हुआ तो उसके पास शासन चलाने के लिए खुद का संविधान नहीं था। इसे एक दिन में बना पाना भी संभव नहीं था। ऐसे में संविधान सभा का गठन किया गया और संविधान बनने तक के लिए इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट-1947 को लागू किया गया। इसके जरिए देश चलाने का फैसला हुआ। इसमें गवर्मेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 को इस्तेमाल में लाने की व्यवस्था की गई थी, जिसे ब्रिटिश संसद में पारित किया गया था। इसे ब्रिटिश संसद में पारित सबसे बड़े कानूनी दस्तावेजों में से एक भी माना जाता था। फिर इस एक्ट को संविधान की जगह इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया।
दो साल में बनकर तैयार हुआ संविधान
संविधान सभा ने 9 दिसंबर, 1947 को अपना काम शुरू किया। इसके सदस्यों का चुनाव भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्य करते थे। सभा के प्रमुख सदस्यों में जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और मौलाना अबुल कलाम आजाद शामिल थे। वहीं अनुसूचित वर्ग के 30 से अधिक सदस्य इसमें शामिल किए गए। संविधान सभा के प्रथम सभापित सच्चिदानंद प्रसाद थे। लेकिन बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सभापति के पद के लिए निर्वाचित किया गया। वहीं बाबा साहेब अंबेडकर को ड्राफ्ट कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। संविधान सभा ने 2 साल 18 महीने और 166 दिन की बैठक के बाद देश का संविधान तैयार किया। इन बैठकों की खास बात ये थी कि इनमें प्रेस और आम जनता को हिस्सा लेने की स्वतंत्रता दी गई थी।
देश के आजाद होने के बाद भी राष्ट्रपति के स्थान पर ब्रिटिश व्यवस्था वाले गवर्नर जनरल के पद को बरकरार रखा गया। हालांकि उसे राष्ट्रपति के बराबर अधिकार नहीं दिए गए। लॉर्ड माउंटबेटन गवर्नर जनरल के पद पर बना रहा। उसने जून 1948 में इस पद को थोड़ा था, तो सी राजगोपालचारी की पद पर नियुक्ति हुई। उन्हें पहला और आखिरी भारतीय गवर्नर जनरल कहा जाता है। फिर 1950 में संविधान लागू हो गया और गवर्नर जनरल का पद समाप्त कर दिया गया। साथ ही सर्वोच्च सत्ता राष्ट्रपति के हाथों में सौंप दी गई।
कुछ ब्रिटिश व्यवस्थाएं बरकरार रहीं
आजादी से पहले ही 1946 में कैबिनेट मिशन का गठन कर दिया गया था। बाद में विधानसभा का गठन हुआ। इनके जरिए ब्रिटिश भारत में शासन व्यवस्था आगे बढ़ाई गई। जवाहरलाल नेहरू अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर चुने गए। वहीं देश में शासन चलाने के लिए 1860 के इंडियन पैनल कोड जैसे कानून लागू किए गए। वर्तमान शासन व्यवस्था चलाने के लिए ब्रिटिश शासनकाल में स्थापित हुए सिविल सर्वेंट और सशस्त्र बलों को जारी रखा गया। भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ लेकिन रास्ते काफी अलग थे। भारत आजादी के बाद एक लोकतांत्रिक देश बन गया। जबकि पाकिस्तान में लोकतंत्र ही काफी कमजोर रहा।