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2003 में उत्तरकाशी, 2013 में केदारनाथ, 2023 में जोशीमठ? उत्तराखंड से मिलते रहे अशुभ संकेत

आपदा की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। यहां कभी भूकंप से तबाही मचती है, तो कभी जलप्रलय से इस बार भगवान बदरीनाथ धाम के प्रवेशद्वार जोशीमठ से आपदा की आहट आ रही है। यहां घरों पर दरारें पड़ गई हैं, जमीन के नीचे पानी की हलचल साफ सुनाई दे रही है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jan 09, 2023 8:04 IST, Updated : Jan 09, 2023 8:04 IST
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Image Source : PTI जोशीमठ में भूं-धंसाव से मंदिर ढह गया।

चमोली: उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने का सिलसिला जारी है, साथ ही जमीन से लगातार पानी रिस रहा है। जोशीमठ में भू-धंसाव और मकानों में दरार की घटना के बाद अब तहसील बड़कोट के बाडिया गांव में भी दहशत का माहौल पैदा हो गया है। गांव के 35 से ज्यादा मकान और किसानों के ऐसे खेत हैं जहां मोटी-मोटी दरारें आ गई है और बिजली के पोल तिरछे हो गए हैं। बताया जा रहा है कि 2013 की आपदा के दौरान यमुना नदी के उफान पर आ जाने से इस गांव के नीचे कटाव होने लगा था धीरे धीरे गांव के घरों में दरार आने लगी जिसके बाद यमुनोत्री धाम को जाने वाला एक मात्र नेशनल हाइवे भी धंसने लगा था।

हालांकि रिवर साइट में प्रोटेक्शन वर्क से भू-धंसाव को कुछ हद तक रोका गया है लेकिन खतरा अभी भी बरकार है यानी जोशीमठ ही नहीं उत्तराखंड के एक बड़े इलाके पर इस वक्त अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है।

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Image Source : PTI
जोशीमठ में भू-धंसाव

आपको बता दें कि आपदा की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। यहां कभी भूकंप से तबाही मचती है, तो कभी जलप्रलय से इस बार भगवान बदरीनाथ धाम के प्रवेशद्वार जोशीमठ से आपदा की आहट आ रही है। यहां घरों पर दरारें पड़ गई हैं, जमीन के नीचे पानी की हलचल साफ सुनाई दे रही है। जरा सी भी बारिश हुई तो जोशीमठ में हालात और खराब हो जाएंगे। जोशीमठ में दरारें पड़ रही हैं, जमीन के नीचे से पानी के फव्वारे फूट पड़े हैं, ये तो सबको पता है लेकिन ऐसा हो क्यों रहा है, ये बात विशेषज्ञ भी नहीं समझ पा रहे।

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Image Source : PTI
घर के फर्श में आई दरार

हैरानी वाली बात यह है कि उत्तराखंड को हर 10 साल के भीतर भीषण आपदा का सामना करना पड़ रहा है। साल 2003 में उत्तरकाशी के वरुणावत में दरारें पड़ीं। सितंबर 2003 में बिना बारिश के करीब एक माह तक जारी रहे वरुणावत भूस्खलन से उत्तरकाशी नगर में भारी तबाही मची थी। करीब 70 करोड़ की लागत से इस पहाड़ी के उपचार के बावजूद अक्सर बरसात में इस पहाड़ी से शहर क्षेत्र में पत्थर गिरने की घटनाएं होती रही हैं। साल 2013 में केदारनाथ में जलप्रलय आया, जिसमें 5 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई।

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Image Source : PTI
जोशीमठ में घरों में आई दरारों को लेकर चिंतित है स्थानीय लोग।

अब साल 2023 में जोशीमठ में जो हो रहा है, वो सबके सामने है। जमीन के धंसने से समूचा जोशीमठ धंस रहा है। सैकड़ों भवन रहने लायक नहीं बचे हैं। कई जगह जमीन पर भी चौड़ी दरारें उभरने लगी हैं। पिछले ही साल उत्तराखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने भी जोशीमठ पर मंडराते खतरे की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। इन तमाम चेतावनियों के बाद जोशीमठ को बचाने के प्रयास नहीं हुए, बल्कि वहां भारी भरकम इमारतों का जंगल उगता गया। अब 20 से 25 हजार की आबादी वाला ये शहर अनियंत्रित विकास की भेंट चढ़ रहा है, शहर का अस्तित्व संकट में पड़ गया है।

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