Highlights
- अक्टूबर में जुलाई-अगस्त जैसी बारिश ने हालात बिगाड़े
- पिछले 30 सालों में अक्टूबर में इतनी बारिश नहीं हुई
- ताजा बारिश की मुख्य वजह आंधी-तूफान
IMD Weather Update: राजधानी दिल्ली, उत्तर भारत के कई अन्य हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के विभिन्न इलाकों में पिछले कुछ दिनों में हुई बारिश की मुख्य वजह ‘‘आंधी-तूफान’’ था और यह अध्ययन का विषय है कि इस परिस्थिति का निर्माण जलवायु परिवर्तन या फिर किसी अन्य कारणों से हुआ है। IMD के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक के एस होसालिकर का कहना है कि देश के कई हिस्सों में अब भी मॉनसून की विदाई नहीं हुई है और आज की तारीख में दक्षिणी पश्चिमी मॉनसून की उत्तर पश्चिम और मध्य भारत के कुछ और हिस्सों से अगले तीन से चार दिन में विदाई के अनुकूल स्थितियां बनेंगी।
पिछले 30 सालों में अक्टूबर में इतनी बारिश नहीं हुई
पिछले 24 घंटे में यूपी में 37.4 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। 10 दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। मौसम विभाग को अनुमान था कि अक्टूबर में 1.2 मिलीमीटर बारिश होगी लेकिन इससे कई ज्यादा बारिश अब तक हो चुकी है। पिछले 30 सालों में अक्टूबर में इतनी बारिश नहीं हुई। मौसम वैज्ञानिक ने यह भी कहा कि अक्टूबर में हुई बारिश की गिनती मॉनसून के वार्षिक आंकड़ों में नहीं होगी क्योंकि आंकड़ों के लिए एक जून से 30 सितंबर की अवधि के बीच हुई बारिश को शामिल किया जाता है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में अक्टूबर के शुरुआती 10 दिनों में 121.7 मिलीमीटर (मिमी) बारिश दर्ज की गई, जो पिछले 16 वर्षों में दूसरा सर्वोच्च रिकार्ड है।
ताजा बारिश की मुख्य वजह आंधी-तूफान
राष्ट्रीय राजधानी में पिछले साल अक्टूबर महीने में 122.5 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। आमतौर पर, अक्टूबर में 28 मिमी बारिश हुआ करती है। दिल्ली में 2020, 2018 और 2017 में अक्टूबर के महीने में बारिश नहीं हुई थी और 2019 में इस महीने 47.3 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। मौसम में आए बदलाव और अक्टूबर में अब तक हुई बारिश के बारे में पूछे जाने पर होसालिकर ने कहा, ‘‘अभी भी देश के कई हिस्सों में मॉनसून की विदाई नहीं हुई है। मध्य भारत से मॉनसून की विदाई का पूर्वानुमान 15 से 16 अक्टूबर के करीब का है। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हो रहा है। यह पिछले कई सालों से हो रहा है। अभी जो बरसात हुई है या कुछ जगहों पर हो रही है यह आंधी-तूफान की वजह से है। इससे पहले, पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति भी बनी थी।’’
इन राज्यों में भारी बारिश की संभावना
उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति अभी बनी हुई है लेकिन साथ ही उत्तर भारत में बादल कम होने लगे हैं। उन्होंने अनुमान व्यक्त किया कि अगले तीन-चार दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम और मध्य भारत के कुछ और हिस्सों से दक्षिण पश्चिम मॉनसून की वापसी के लिए स्थितियां अनुकूल होंगी। होसालिकर ने कहा कि अगले पांच दिनों के दौरान तमिलनाडु में और अगले दो दिनों के दौरान कर्नाटक के कुछ हिस्सों और रायलसीमा में भारी वर्षा जारी रहने की संभावना है।
मॉनसून में बदलाव का करीब 56 सालों का डेटा किया इकट्ठा
मौसम के इस मिजाज के पीछे जलवायु परिवर्तन की भूमिका के बारे में पूछे जाने इस प्रसिद्ध वैज्ञानिक ने कहा कि इसके बहुत सारे कारक होते हैं और अध्ययन के बाद ही इसके बारे में कोई ठोस जानकारी दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि IMD ने जब देखा कि मॉनसून के आने और जाने की जो सामान्य तारीख और उसमें हुए बदलाव का करीब 56 सालों का डेटा इकट्ठा किया और पता किया था कि कौन सी जगह पर मॉनसून के आने और जाने में कितने दिन का फर्क (सामान्य तारीख के मुकाबले) आया है। उन्होंने कहा, ‘‘कमाबेश बहुत जगह पर हमने ये देखा है कि मॉनसून का ठहराव बढ़ गया है। यह जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहा है या और कोई कारण है, यह अध्ययन का विषय है।
अगले 24 घंटे भारी, 42 जिलों में बारिश का अलर्ट
वहीं, आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले 10 दिनों से लगातार हो रही बारिश से कई जिलों में बाढ़ के हालात है। इस आसमानी आफत के आगे क्या इंसान क्या जानवर सब बेबस नजर आ रहे हैं। गांव से लेकर शहर तक पानी ही पानी नजर आ रहा है। सड़कें तालाब बन गई है, घरों में कई फीट तक पानी भरा हुआ है और खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। इस बीच मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में 42 जिलों में बारिश की संभावना जताई है। वहीं बांदा, चित्रकूट, प्रयागराज, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी, में मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है।