नई दिल्ली: देश के कई हिस्सों में जुलाई में हुई भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त करके रख दिया था। मौसम विभाग की मानें तो भारत में अगस्त और सितंबर में भी सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने गुरुवार को कहा है कि अगस्त के अंत तक अल-नीना की अनुकूल स्थितियां देखने को मिल सकती हैं। बता दें कि भारत में कृषि के लिए मॉनसून बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुल खेती योग्य भूमि का 52 प्रतिशत हिस्सा बारिश पर निर्भर है, हालांकि कई हिस्सों में भारी बारिश तबाही भी लेकर आई है।
‘जुलाई में हुई है सामान्य से ज्यादा बारिश’
IMD ने बताया कि भारत में अगस्त और सितंबर के दौरान 422.8 मिमी की दीर्घावधि औसत का 106 प्रतिशत वर्षा होगी। देश में एक जून से अब तक 453.8 मिमी बारिश हुई है, जबकि सामान्य बारिश 445.8 मिमी होती है। यह सामान्य बारिश से 2 प्रतिशत ज्यादा है क्योंकि जून में सूखा रहने के बाद जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश हुई। IMD चीफ मृत्युंजय महापात्र ने ऑनलाइन आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान है।
‘देश के अधिकांश हिस्सों में ज्यादा रहेगा तापमान’
IMD चीफ ने कहा कि पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों, पूर्वी भारत से सटे हिस्से, लद्दाख, सौराष्ट्र और कच्छ तथा मध्य और प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। उन्होंने अगस्त-सितंबर में पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के कुछ हिस्सों में कम बारिश होने का अनुमान जताया है। महापात्र ने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘गंगा के मैदानी इलाकों, मध्य भारत और भारत के दक्षिण-पूर्वी तट के कुछ इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहने का अनुमान है।’
‘पूर्वी यूपी, झारखंड और बिहार में हुई कम बारिश’
IMD चीफ ने कहा कि भारत में जुलाई में सामान्य से 9 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई, जबकि मध्य क्षेत्र में 33 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। महापात्र ने कहा कि मध्य भारत के हिस्सों में अच्छी बारिश हुई, जिससे किसानों को फायदा हुआ है। मध्य भारत कृषि के लिए मॉनसून की बारिश पर बहुत ज्यादा निर्भर है। IMD के आंकड़ों के मुताबिक, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में गंगा के मैदानी इलाकों और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में कम बारिश हुई है। हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में 35 प्रतिशत से 45 प्रतिशत तक कम वर्षा हुई है।