नई दिल्ली: भारत में 122 वर्षो में इस साल मार्च के महीने में औसत तापमान सबसे अधिक रहा। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में उत्तर और मध्य भारत में लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिलने की संभावना नहीं हैं। मौसमी परिस्थितियों, मानसून के पैटर्न तथा हिमालयी एवं तटीय क्षेत्रों पर इसके प्रभाव के बारे में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) में राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेन्द्र कुमार जेनामणि से पांच सवाल एवं उनके जवाब’’:-
सवाल: पिछले 122 वर्षो में इस वर्ष मार्च महीने में औसतन सबसे अधिक गर्म दिन रहने की रिपोर्ट आई है। इसके क्या कारण हैं?
जवाब: भारत में तापमान का रिकार्ड वर्ष 1901 से रखा जाना शुरू हुआ था। साल 2022 के मार्च महीने के तापमान ने वर्ष 2010 के मार्च में दर्ज औसत अधिकतम तापमान के सर्वकालिक औसत को पार कर लिया। 2010 के मार्च में अधिकतम तापमान का औसत 33.09 डिग्री सेल्सियस रहा था लेकिन मार्च 2022 में औसत तापमान 33.1 डिग्री दर्ज किया गया। दुनियाभर में भी पिछले दो दशक में सबसे गर्म साल देखने को मिले हैं। जलवायु परिवर्तन का असर मौसम की तीव्रता पर पड़ रहा है, भारत में भी यह भीषण बाढ़, चक्रवात या भारी बारिश के रूप में देखने को मिला है। इसमें उत्तर में पश्चिमी विक्षोभ एवं दक्षिण में किसी व्यापक मौसमी तंत्र के नहीं बनने के कारण वर्षा की कमी का प्रभाव भी एक कारण है। पिछले कुछ सालों में ऐसे दिन ज्यादा रहे हैं जब बारिश हुई ही नहीं। कुछ मामलों में बहुत ज्यादा बारिश हुई और गर्मी भी बढ़ती गई।
सवाल: पिछले कुछ वर्षो में हिमालयी क्षेत्र से लेकर तटीय इलाकों में भी तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2022 में तापमान वृद्धि का सबसे अधिक प्रभाव किन इलाकों पर देखा गया?
जवाब: इस साल मार्च के उतरार्द्ध में देश के कई हिस्सों में तापमान में वृद्धि देखने को मिली, लेकिन बारिश कम हुई। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर भारत के हिल स्टेशन में भी दिन के वक्त सामान्य से ज्यादा तापमान दर्ज किया गया। दिल्ली, चंदरपुर, जम्मू, धर्मशाला, पटियाला, देहरादून, ग्वालियर, कोटा और पुणे समेत कई स्थानों पर मार्च 2022 में रिकार्ड अधिकतम तापमान दर्ज किया गया। पश्चिम हिमालयी क्षेत्र के पर्वतीय पर्यटन स्थलों पर भी दिन के वक्त काफी ज्यादा तापमान दर्ज किया गया। देहरादून, धर्मशाला या जम्मू जैसे हिल स्टेशन पर मार्च में 34-35 डिग्री सेल्सियस तक तापमान दर्ज किया गया, जो बहुत ज्यादा है। इस बार तापमान उन क्षेत्रों के अधिक रहा, अपेक्षाकृत ठंडा मौसम रहना चाहिए था। इसका एक उदाहरण पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र है , जहां लंबे समय से ऐसा कुछ नहीं देखने को मिला।
सवाल: इस साल तापमान में वृद्धि एवं गर्मी के ऐसे प्रभाव के पीछे क्या जलवायु परिवर्तन का प्रभाव है, जैसा कि कई विशेषज्ञों का कहना है?
जवाब: कोई महीना जब तुलनात्मक रूप से ज्यादा गर्म रहता है तब इससे यह संकेत मिलता है कि यह जलवायु परिवर्तन का असर है। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव यही है कि इस साल मार्च महीने में तापमान का ज्यादा प्रभाव रहा। ऐसे में पिछले 122 वर्ष में इस साल मार्च महीने में तापमा अखिल भारतीय स्तर पर औसतन सबसे अधिक रहा।
सवाल: पिछले महीने तापमान में इस प्रकार की वृद्धि के संबंध में कुछ वैज्ञानिक ‘अल नीनो’ प्रभाव को कारण बता रहे हैं। क्या इन दोनों में कोई संबंध है? क्या इसका मानसून के पैटर्न पर कोई प्रभाव पड़ेगा?
जवाब: अल नीनो प्रभाव पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से तापमान बढ़ने की स्थिति को दर्शाता है। हालांकि, भारत में हाल के दिनों में तापमान में वृद्धि का अल नीनो प्रभाव से कोई संबंध नहीं है। भारत बहुत बड़ा देश है और कई मौसमी परिघटनाएं स्थानीय प्रभाव के कारण भी होती हैं। अभी अप्रैल महीना शुरू ही हुआ है और मानसून आने में अभी समय है। हमारे पास ऐसा कोई अध्ययन नहीं है जो मार्च महीने के तापमान के आधार पर मानसून के पैटर्न से कोई संबंध जोड़ता हो। ऐसे में मानसून पर प्रभाव के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।
सवाल: आने वाले दिनों में देश में गर्मी क्या प्रभाव रहेगा? विभाग का क्या पूर्वानुमान है?
जवाब: उत्तर और मध्य भारत में फिलहाल लू और गर्मी से राहत नहीं मिलेगी। विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, जम्मू संभाग, हिमाचल प्रदेश, विदर्भ, गुजरात, झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश में अगने कुछ दिनों में भीषण गर्मी पड़ेगी। अरूणाचल प्रदेश, असम एवं मेघालय में बारिश होने की संभावना है। वहीं, छह अप्रैल को दक्षिणी अंडमान सागर एवं आसपास के इलाकों में उपरी वायुमंडल में चक्रवातीय प्रभाव के कारण दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है।
(इनपुट- एजेंसी)