New Complaint Rules on Social Media:आज के समय में सोशल मीडिया आमजनों का प्रभावी हथियार बन चुका है। अक्सर लोग विभिन्न विभागों और अधिकारियों के खिलाफ शिकायत करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं। यह बात अलग है कि सोशल मीडिया पर वायरल हुई शिकायतों पर ही कार्रवाई हो पाती है। कई अन्य शिकायतों पर अधिकारी व जिम्मेदार विभाग संज्ञान नहीं लेते। मगर अब ऐसा नहीं होगा। सोशल मीडिया को और अधिक ताकतवार बनाने के लिए मोदी सरकार अब ऐसा नियम बनाने जा रही है कि इस प्लेटफॉर्म से की गई शिकायतों को गंभीरता से लेना होगा। शिकायतों को संज्ञान में नहीं लेने और उस पर कोई कार्रवाई नहीं करने वाले अधिकारियों को यह लापरवाही बहुत भारी पड़ सकती है।
भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शनिवार को कहा कि शिकायत अपीलीय समितियों (जीएसी) के ढांचे और दायरे को परिभाषित करने के तौर-तरीकों पर जल्द काम किया जाएगा। अब सोशल मीडिया मंच के उपयोगकर्ताओं की शिकायतों के निवारण को लेकर
अधिकारियों को अधिक गंभीर होना होगा। इसके लिए अधिकारियों को अपना ‘सांकेतिक’ और ‘चलताऊ’ रवैया छोड़ना पड़ेगा। यानि राज्यमंत्री का मतलब साफ है कि सोशल मीडिया पर अब आमजनों की ताकत और मजबूत होगी।
सोशल मीडिया पर दर्ज शिकायतों का करना होगा निपटारा
सोशल मीडिया मंचों पर उपलब्ध सामग्रियों एवं अन्य मुद्दों को लेकर दर्ज शिकायतों का समुचित निपटारा करने के लिए सरकार ने शुक्रवार को आइटी नियमों में बदलाव करते हुए तीन महीने में अपीलीय समितियों का गठन की घोषणा की। ये समितियां मेटा और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सामग्री के नियमन के संबंध में किए गए फैसलों की समीक्षा भी कर सकेंगी। चंद्रशेखर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘शिकायत अपीलीय समिति इंटरनेट और मध्यवर्तियों के लिए आगामी दिनों में एक महत्वपूर्ण संस्थान होंगे। हम इसके ढांचे, संविधान, दायरे और नियम-शर्तों के बारे में घोषणा करेंगे।
लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त
राज्यमंत्री ने कहा कि शिकायतों के निपटारे को लेकर मंचों के अब तक के लापरवाही भरे रवैये की वजह से ही ये कदम उठाने पड़े हैं। मंत्री ने कहा, ‘‘हम यह उम्मीद करते हैं कि मध्यवर्तियां अपने स्तर पर शिकायतों के निपटारे के लिए बेहतर ढंग से काम करेंगी जिससे कि अपीलीय प्रक्रिया पर बहुत अधिक भार नहीं पड़े।’’ सोशल मीडिया के लिए 2021 में जो नियम लाए गए थे उनके तहत उपयोगकर्ताओं की शिकायतों के समाधान के लिए इन कंपनियों को शिकायत निवारण अधिकारियों की नियुक्ति करना अनिवार्य कर दिया गया था। चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘हमने सोचा कि मध्यवर्तिंयां शिकायत निवारण अधिकारियों की नियुक्ति के जरिए यह समझेंगी कि शिकायत निवारण अधिकारी शिकायतों को दूर करने के लिए हैं, यहां सांकेतिक तौर पर काम नहीं चलेगा। कुछ लोगों को यह समझ नहीं आया और हमें समितियां बनानी पड़ीं।
मंत्री ने कहा डिजिटल नागरिकों की शिकायतों को देनी होगी प्राथमिकता
संशोधित नियमों के मुताबिक प्रत्येक समिति में एक चेयरपर्सन और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो पूर्णकालिक सदस्य होंगे। इनमें से एक पदेन सदस्य होगा और दो स्वतंत्र सदस्य होंगे। संशोधनों की अधिसूचना के मुताबिक शिकायत अधिकारी के निर्णय से असहमत कोई भी व्यक्ति, शिकायत अधिकारी से सूचना मिलने से तीस दिनों के भीतर अपीलीय समिति में शिकायत कर सकता है। चंद्रशेखर ने कहा कि इन समितियों के फैसलों को अदालतों में चुनौती दी जा सकेगी। उन्होंने कहा, "सरकार की दिलचस्पी लोकपाल की भूमिका निभाने में नहीं है। यह एक जिम्मेदारी है जिसे हम अनिच्छा से ले रहे हैं, क्योंकि शिकायत तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा है। हम यह इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ‘डिजिटल नागरिकों’ के प्रति हमारा दायित्व है और कर्तव्य है कि उनकी शिकायतें सुनी जाएं।