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ICICI बैंक-वीडियोकॉन लोन धोखाधड़ी केस: चंदा कोचर और दीपक कोचर को मिली जमानत

ICICI बैंक लोन धोखाधड़ी केस में चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को जमानत मिल गई है।

Reported By : Gonika Arora Edited By : Swayam Prakash Updated on: January 09, 2023 11:45 IST
ICICI की पूर्व CEO चंदा कोचर- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO ICICI की पूर्व CEO चंदा कोचर

बॉम्बे हाई कोर्ट ने ICICI बैंक-वीडियोकॉन ऋण धोखाधड़ी मामले में  CBI की गिरफ़्तारी के बाद ICICI की पूर्व CEO चंदा कोचर और दीपक कोचर को न्यायिक हिरासत से रिहा करने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा, "गिरफ्तारी कानून के मुताबिक नहीं है।" चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को एक-एक लाख के निजी मुचलके पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत दी है।

कोर्ट ने गिरफ्तारी को बताया गैरकानूनी

ICICI बैंक लोन धोखाधड़ी केस में चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को जमानत मिल गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोनों के रिहाई के आदेश दे दिए हैं। एक-एक लाख के निजी मुचलके पर दोनों को जमानत दी गई है। बता दें कि दोनों को वीडियोकॉन लोन फ्रॉड केस में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गिरफ्तार किया था। वे पिछले 15 दिनों से हिरासत में थे। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज के. चव्हाण की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कोचर दंपति की गिरफ्तारी कानून के मुताबिक नहीं है। उनकी गिरफ्तारी सीआरपीसी की धारा 41ए का उल्लंघन करती है।

विशेष सीबीआई कोर्ट ने हिरासत में भेजा था
अदालत ने कोचर दंपति को 1,00,000 रुपये की नकद जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने गिरफ्तारी के बाद कोचर को सीबीआई की हिरासत में भेज दिया था और बाद में 29 दिसंबर को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। इसके तुरंत बाद, कोचर ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी, जिसके बाद सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाया गया।

समझिए क्या है पूरा मामला
CBI का आरोप है कि ICICI बैंक ने वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं मंजूर की थीं। जांच एजेंसी ने 71 वर्षीय धूत को सोमवार को इस मामले में गिरफ्तार किया। जांच एजेंसी का आरोप है कि चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली मंजूरी समिति ने 2009 में लोक सेवक के रूप में अपनी आधिकारिक हैसियत का दुरुपयोग करके बैंक के नियमों और नीतियों का उल्लंघन कर वीआईईएल को 300 करोड़ रुपये का सावधि ऋण स्वीकृत किया। सीबीआई ने आरोप लगाया कि ऋण दिये जाने के अगले ही दिन धूत ने एसईपीएल के जरिए वीआईईएल से 64 करोड़ रुपये एनआरएल को स्थानांतरित कर दिए।

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