Highlights
- कर्नाटक में 2 मरीज वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित पाए गए हैं।
- ओमिक्रॉन वेरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बेहद संक्रामक बताया है।
- कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान साउथ अफ्रीका में हुई थी।
नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की एंट्री हो चुकी है। कर्नाटक में 2 मरीज वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित पाए गए हैं और उन्हें फिलहाल आइसोलेशन में रखा गया है। कोरोना वायरस के इस वेरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बेहद संक्रामक बताया है, ऐसे में सवाल उठता है कि इससे कैसे बचा जाए। बता दें कि ओमिक्रॉन को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं। कोई इसे बेहद खतरनाक बता रहा है, तो कोई कह रहा है कि इससे पीड़ित लोगों में हल्के लक्षण देखने को मिले हैं, लेकिन अभी भी पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।
जानें, क्या हैं ओमिक्रॉन से बचाव के तरीके
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट से बचाव के तरीकों के बारे में बताया है। मिनिस्ट्री ने कहा है कि WHO के मुताबिक मास्क के इस्तेमाल, हैंड हाइजीन, फिजिकल डिस्टैंसिंग जैसे उपाय अपनाकर इस वेरिएंट से बचा जा सकता है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि RTPCR टेस्ट Omicron को डिटेक्ट कर सकता है और वैक्सीन के साथ अन्य सभी उपाय करने जरूरी हैं। बता दें कि वायरस के इस वेरिएंट की पहचान सबसे पहले साउथ अफ्रीका में हुई थी और उसके बाद से कई देशों में इससे संक्रमित मरीज मिल चुके हैं।
'हमने दुनिया को दो भागों में बांटा'
अधिकारी ने कहा, ‘हमने रिस्क के आधार पर दुनिया के सभी देशों को 2 भागों में बांटा है। पहला कंट्री ऐट रिस्क, ऐसे देशों से आने वाले लोगों को एयरपोर्ट पर RTPCR टेस्ट कराना होगा और पॉजिटिव आने पर उनका उपचार होगा, जबकि निगेटिव आने पर उन्हें 7 दिन के लिए होम क्वॉरिंटीन किया जाएगा और उसके बाद फिर से टेस्ट होगा। उसके बाद भी निगेटिव आने पर वे मॉनिटरिंग में रहेंगे। वहीं, जो देश ऐट रिस्क की श्रेणी में नहीं आते हैं, वहां से आने वाले यात्रियों में से 2 प्रतिशत को टेस्ट करेंगे। पहली दिसंबर से यह दिशा निर्देश आ चुके हैं।