Aap ki Adalat: देश के लोकप्रिय और चर्चित टीवी शो 'आप की अदालत' के प्रसारण को शुरू हुए 30 साल हो चुके हैं। यह शो आज भी अपनी लोकप्रियता के चरम पर है। अक्सर लोगों के जहन में यह सवाल आता है कि 'आप की अदालत' जैसे चर्चित और लोकप्रिय शो की शुरुआत कैसे हुई? इस शो का आइडिया कहां से आया? इसका जवाब खुद इस इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने दिया। उन्होंने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट करके इस शो की शुरुआत कैसे हुई और कैसे इस शो ने उनकी जिंदगी बदल दी, इसके बारे में बताया।
दिल्ली-मुंबई सफर के दौरान बात निकली
उन्होंने बताया, दिल्ली से मुंबई की फ्लाइट में गुलशन ग्रोवर मेरे साथ बैठे थे। वे मेरे साथ कॉलेज में पढ़ते थे। उस फ्लाइट में जी टीवी के सुभाष चंद्रा भी थे। गुलशन ने सुभाष जी की ओर इशारा करते हुए पूछा कि तुम इन्हें जानते हो ? मैंने कहा कि हां मैं जानता हूं। इस पर गुलशन ने कहा कि अगर इनके चैनल में मेरा इंटरव्यू आ जाए तो मेरा बड़ा फायदा हो जाएगा। मैंने कहा कि अभी कह देता हूं। मैं सुभाष जी के पास गया वहां पारले के मालिक रमेश चौहान भी थे। मैंने सुभाष चंद्रा से कहा कि ये मेरा दोस्त है गुलशन ग्रोवर। इसका इंटरव्यू आप अपने चैनल में कराओ। इस पर सुभाष जी ने कहा कि मैं तो बिजनेस करनेवाला आदमी हूं, आप क्यों नहीं इनका इंटरव्यू करते हैं। इसपर पता नहीं क्या हुआ कि मैंने कहा - मैं इनका इंटरव्यू क्यूं करूंगा। दो आदमी बैठकर आपस में बातें करेंगे तो कौन इस पर ध्यान देगा? कौन सुनेगा? रमेश चौहान ने कहा- फिर क्या होना चाहिए? इस पर मैंने कहा कि देखिए जो नेता, सेलिब्रिटी हैं,स्टार हैं उनको बुलाओ, कटघरे में बैठाओ, सामने जनता हो और इल्जाम लगाओ, उनकी जिम्मेदारी तय करो। मैं बहुत देर बोलता रहा। इसके बाद घोषणा हुई 'प्लीज टेक योर सीट'। फिर फ्लाइट लैंड हुई और बात खत्म हो गई।
सुभाष जी ने कहा - आप इस प्रोग्राम पर सोचिए
कुछ दिन बाद सुभाष जी ने मुझे फोन किया कि आपसे मिलना चाहता हूं। मैंने कहा कि बताइए मैं आ जाता हूं। इसपर सुभाष जी ने कहा कि नहीं मुझे आपसे कुछ काम है, मैं ही आ जाता हूं। वे मेरे ऑफिस आए और कहा कि आपने जो प्रोग्राम सजेस्ट किया था। मैंने कहा कौन सा प्रोग्राम..? इस पर सुभाष जी ने कहा कि वो जो आपने उस दिन फ्लाइट में अदालत का प्रोग्राम सजेस्ट किया था। मैंने कहा कि वो तो मैंने ऐसे ही कहा था। हवाबाजी थी। किसी प्रोग्राम का आइडिया नहीं था वो। कौन कटघरे में आकर बैठेगा और जवाब देगा? उन्होंने कहा कि नहीं आप इस पर सोचिए।
12 फरवरी 1993 को रिकॉर्ड हुआ पहला शो
कुछ दिन बाद उन्होंने फिर फोन किया। तब मैंने कहा कि मैं ही आपके पास आता हूं। इसके बाद मैंने कहा कि ये सब हवाबाजी थी। लेकिन सुभाष जी लगातार जिद करते रहे। उन्होंने कहा कि आप यह प्रोग्राम कर सकते हैं। कुछ दिन बाद उन्होंने अपने क्रिएटिव डायरेक्टर्स कमलेश पांडेय और करुणा समतानी को मेरे पास भेजा। इन लोगों ने कहा कि यह प्रोग्राम आप ही कर सकते हैं। मैंने कहा कि इस तरह का प्रोग्राम मैंने कभी नहीं किया। लेकिन उन्होंने कहा कि हम मदद करेंगे। डायरेक्टर लाएंगे। सेट लगाएंगे। फिर ये तय हुआ कि कोशिश करते हैं प्रोग्राम रिकॉर्ड करने की। अगर अच्छा हुआ तो टेलीकास्ट करेंगे और नहीं हुआ तो छोड़ देंगे। फिर मैंने कहा कि रिकॉर्डिंग का सारा खर्चा आपका होगा। क्योंकि मेरे पास कोई रिसोर्स नहीं है। इस तरह से आप की अदालत शुरू हुआ। 12 फरवरी 1993 को पहला शो लालू प्रसाद के साथ रिकॉर्ड हुआ। फिर उसके बाद जो हुआ वो इतिहास है।