मुंबई एयरपोर्ट हाल के दिनों में एक्सटॉर्शन के अड्डे के रूप में उभरकर सामने आया है। मुंबई इंटरनेशन एयरपोर्ट पर कस्टम के अधिकारियों द्वारा G-Pay के जरिए एक्सटॉर्शन के 5 मामलों की जांच कर रही सीबीआई ने एक के बाद एक 3 और ऐसे ही मामले दर्ज किए हैं। अहम बात ये है कि सीबीआई द्वारा दर्ज इन तीनों मामलों में कस्टम सुप्रीटेंडेट और एयरपोर्ट पर मौजूद लोडर के सिंडिकेट की भूमिका सामने आई है।
G-Pay एक्सटॉर्शन सिंडीकेट कैसे करता है काम?
सीबीआई के सामने सिंडीकेट की वो मोड्स ऑपरेंडी सामने आई है जिसमें कस्टम अधिकारी पैसेंजर्स को डराने धमकाने और पासपोर्ट छीन लेने के बाद पीड़ित पैसेंजर्स को फर्जी केस में फसाने के नाम पर पहले एक्सटॉर्शन डील करते थे और फिर ये एक्सटॉर्शन मनी लोडर अपने G-Pay अकाउंट में रिसीव करते या पीड़ित के घरवालों रिश्तेदारों से एक्सटॉर्शन मनी कैश में वसूल करते और फिर क्लीरेंस देते कि पैसे मिल गए है पैसेंजर को छोड़ दिया जाए।
कॉरपोरेट बिजनेस की तरह चला रहे सिंडिकेट
सीबीआई के आला अधिकारियों की मानें तो हाल के दिनों में एक के बाद एक की गई इन कार्यवाही में जो मोड्स ऑपरेंडी उभरकर सामने आई है, उससे साफ पता चलता है कि ये एक सिंडिकेट है जो अपने एक्सटॉर्शन कारोबार को किसी कॉरपोरेट बिजनेस की तरह चला रहे हैं और इसका मास्टरमाइंड कस्टम विभाग के सिस्टम में मौजूद हो सकता है। इसी वजह से मामले की जांच क्रिमिनल कंस्पिरेसी 120B के तहत जारी है।
एक्सटॉर्शन में एयर कस्टम सुप्रीटेंडेट मुख्य आरोपी
जानकारी है कि सीबीआई ने 10 मार्च को मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर G-Pay एक्सटॉर्शन के जो तीन नए मामले दर्ज किए हैं उसमें 2 मामलो में वही एयर कस्टम सुप्रीटेंडेट आलोक कुमार मुख्य आरोपी है जो पहले दो G-Pay एक्सटॉर्शन मामले में बेल पर रिहा चल रहे हैं और अब उनपर और G-Pay एक्सटोर्शन के मामले सामने आने के बाद उनकी बेल कैंसल हो सकती है।
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