Tuesday, March 25, 2025
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'प्रयागराज में जिस तरह से घरों को किया गया ध्वस्त, उससे हमारी अंतरात्मा को लगा धक्का', सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा प्रयागराज में मकानों के ध्वस्तीकरण किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि अदालतें ऐसी प्रक्रिया को बर्दाश्त नहीं कर सकतीं हैं।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Mar 24, 2025 22:57 IST, Updated : Mar 25, 2025 7:18 IST
सुप्रीम कोर्ट
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में ‘मनमाने’ तरीके से मकान ढहाने के लिए सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कार्रवाई से उनकी अंतरात्मा को धक्का लगा है। न्यायामूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने नोटिस देने के 24 घंटे के भीतर ही मकानों को बुलडोजर से गिराने और पीड़ितों को अपील करने का समय नहीं देने पर भी नाराजगी जताई है। 

ऐसी प्रक्रिया को नहीं किया जा सकता बर्दाश्त

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, 'यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है कि किस तरह से आवासीय परिसरों को मनमाने तरीके से ध्वस्त किया गया। जिस तरह से पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया, वह चौंकाने वाला है। अदालतें ऐसी प्रक्रिया को बर्दाश्त नहीं कर सकतीं। अगर हम एक मामले में इसे बर्दाश्त करते हैं तो यह जारी रहेगा।' 

ध्वस्त घरों के पुनर्निर्माण की मिलेगी अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत याचिकाकर्ताओं को ध्वस्त घरों के पुनर्निर्माण की अनुमति देगी, बशर्ते वे निर्धारित समय के भीतर अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर करें। अदालत ने कहा कि अगर उनकी अपील खारिज हो जाती है तो याचिकाकर्ताओं को अपने खर्च पर घरों को ध्वस्त करना होगा। याचिकाकर्ताओं को हलफनामा दायर करने के लिए मामले को स्थगित कर दिया गया। 

सरकार की ओर से कोर्ट में दी गई सफाई

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने राज्य की कार्रवाई का बचाव करते हुए नोटिस देने में पर्याप्त ‘उचित प्रक्रिया’ का पालन करने का आश्वासन दिया। उन्होंने बड़े पैमाने पर अवैध कब्जों की ओर इशारा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के लिए अनधिकृत कब्जे को नियंत्रित करना मुश्किल है। 

सुप्रीम कोर्ट पहले भी कर चुका है आलोचना

सुप्रीम कोर्ट ने पहले प्रयागराज में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना घरों को ध्वस्त करने पर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी। कोर्ट ने कहा था कि यह कार्रवाई ‘चौंकाने वाली और गलत संकेत’ देती है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि राज्य सरकार ने यह सोचकर कि जमीन गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद की है, गलत तरीके से घरों को ध्वस्त किया। अतीक अहमद 2023 में मारा गया था। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

सुप्रीम कोर्ट, वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनके घर ध्वस्त कर दिए गए थे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने घरों को गिराए जाने की कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। (भाषा के इनपुट के साथ)

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