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...तो डूब रहा है भारत का यह खूबसूरत द्वीप, जानिए इस जगह अभी कैसे जी रहे लोग

केरल का एक खूबसूरत द्वीप डूब रहा है। इस द्वीप पर बने घर पानी में डूब गए हैं। यहां लोग पानी के बीच खड़े होकर काम करते हैं।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published : Dec 16, 2022 12:41 IST, Updated : Dec 16, 2022 12:41 IST
कोल्लम
Image Source : SOCIAL MEDIA कोल्लम

कोल्लम की व्यस्त जीवनशैली से अछूता मुनरोतुरुत्तु केरल का एक ऐसा द्वीप है, जहां पर्यटक नौकाओं में बैठकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने और सुकून की तलाश में आते हैं, लेकिन उनके लिए यह यकीन कर पाना मुश्किल होगा कि इस द्वीप पर रहने वाले सैंकड़ों स्थानीय लोग इसे छोड़कर जा रहे हैं।

इस द्वीप को छोड़ने पर मजबूर लोग 

अष्टमुडी झील में कल्लड़ा नदी के विलय स्थान पर स्थित यह द्वीप 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद से असाधारण ऊंची लहरों के कारण जीवन के लिए खतरनाक हो गया है। जिसके कारण लोग इस जगह को छोड़कर जा रहे हैं। अनौपचारिक आंकड़ों के अनुसार, द्वीप की आबादी हाल के वर्षों में 12,000-13,000 से घटकर लगभग 8,000 रह गई है। यानी इस द्वीप को 4-5 हजार लोग छोड़ चुके हैं। इस द्वीप का नाम पूर्व ब्रिटिश निवासी कर्नल मुनरो के नाम पर रखा गया है।

पानी में डूब रहे हैं घर 
यहां रहने वाले लोगों को उच्च ज्वार और घरों में खारे पानी के रिसाव, जलभराव और संपर्क सुविधाओं की कमी संबंधी परेशानियों से लड़ रहे हैं। धूल-मिट्टी एवं दुर्गंध से भरे खाली पड़े मकान, आंशिक रूप से पानी में डूबे रास्ते, इमारतों की सीलन भरी दीवारें बता रही है कि लोग क्यों घर छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। यहां रह रहे लोग टखनों तक भरे पानी में खड़े होकर दैनिक काम-काज करते हैं। द्वीप में रहने वाली सुशीला नाम की महिला ने कहा कि ‘‘पानी हमारे घरों में बिन बुलाए मेहमान की तरह है।’’ उसने कहा कि ऊंची लहरों के कारण हर वक्त घरों में रिसने वाला खारा पानी घरों के कंक्रीट के ढांचे को नुकसान पहुंचा रहा है। 

2004 के बाद से खतरा तेजी से बढ़ा 
सुशीला ने कहा कि ‘‘आजकल लगभग हर दिन पानी आता है और कुछ घंटे बाद चला जाता है और फिर आ जाता है। अब हमारे चारों तरफ पानी ही पानी है। हमारे छोटे बच्चे इस गंदे पानी के बीच से होते हुए स्कूल जा रहे हैं।’ उसने कहा कि एक समय यह द्वीप अपने नारियल के पेड़ों के कारण जाना जाता था, लेकिन पानी के अत्यधिक खारे होने और जलभराव के कारण इन पेड़ों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। सुशीला ने कहा कि इस क्षेत्र में कुछ निश्चित महीनों में ऊंची लहरें उठने की समस्या काफी पुरानी है, लेकिन 2004 में सुनामी आने के बाद से यह अत्यधिक बढ़ गई है। 

आने वाले समय सभी मकान डूब जाएंगे 
आठ छोटे द्वीपों से मिलकर बना पर्यटन का यह केंद्र 13.4 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस द्वीप समूह के निचले इलाकों के डूबने का गंभीर खतरा पिछले कई साल से मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि मकानों में पानी भर गया है और कई इमारतें धीरे-धीरे ‘‘डूब रही’’ हैं। मुनरोतुरुत्तु की इस समस्या का कारण जानने के लिए कई अध्ययन किए जा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों की राय इस बारे में बंटी हुई है। कुछ लोग इसके लिए असाधारण रूप से ऊंची लहरों से लेकर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार बताते हैं, जबकि अन्य सुनामी के बाद आए बदलावों को इसका कारण बताते हैं। इसके अलावा कुछ लोग तीन दशक पहले कल्लड़ा बांध के निर्माण और द्वीप से गुजरने वाली रेलगाड़ियों से होने वाले कंपन को भी इसका कारण मानते हैं।

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