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Independence Day Special: आप चाय लवर्स हैं तो आपके लिए ये स्टोरी है, जाने क्या है TEA का इतिहास

Independence Day Special: चाय एक ऐसा शब्द जिस सुनते ही चाय लवर्स के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है। भारत में रहने वाले लगभग लोग चाय के आदी होते हैं। ऐसे कई लोग मिलेंगे जिन की शुरुआत चाय के बिना होती ही नहीं है। गांव से लेकर शहर तक चाय पीने के शौकीन लोग होते हैं।

Written By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published on: August 05, 2022 13:01 IST
Independence Day Special- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Independence Day Special

Highlights

  • 3 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है
  • असम में सबसे पहले टी गार्डन बनाया गया
  • बागान में काम करने वाले महिलाओं की स्थिति सही नहीं है

Independence Day Special:  चाय एक ऐसा शब्द जिस सुनते ही चाय लवर्स के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है। भारत में रहने वाले लगभग लोग चाय के आदी होते हैं। ऐसे कई लोग मिलेंगे जिन की शुरुआत चाय के बिना होती ही नहीं है। गांव से लेकर शहर तक चाय पीने के शौकीन लोग होते हैं। अब तो अलग-अलग वैरायटी के चाय भी मिलते हैं। अगर आप चाय के आशिक है तो बिल्कुल जानते होंगे जैसे तंदूरी चाय, अदरक वाली चाय, काली मिर्च वाली चाय वगैरा-वगैरा। हमारे देश में चाय एक बड़ा व्यवसाय के रूप में देखा जाता है। ऐसे कई किस्से और कहानी भी आपको मिलेंगे जिनके जीवन में चाय ने काफी परिवर्तन लाया। अब यह एक ब्रांड के रूप में उभर चुका है। चाय के ब्रांडेड दुकान ओपन हो रहे हैं। आज हम इसी चाय के बारे में जानेंगे कि भारत में चाय का इतिहास क्या रहा और किन किन राज्यों में चाय की खेती होती है। वर्तमान में चाय व्यवसायियों का क्या हाल है।

चाय की इतिहास क्या है?

इतिहासकारों के मुताबिक चाय का पौधा सबसे पहले चीन में पाया गया था। यानी हम कह सकते हैं कि चीन से चाय की खेती शुरू हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि ईसा पूर्व 2337 चीन के सम्राट शेन नंग एक बार जंगल के रास्ता से कहीं जा रहे थे तभी उन्हें प्यास लगी और पानी पीने के लिए जब पानी को उबाल आ जा रहा था तभी उबलते हुए पानी में कुछ पत्ते जा गिरे जिसके बाद पानी का कलर चेंज हो गया। राजा ये देखकर काफी आश्चर्यचकित हुए। राजा ने यह निर्णय लिया कि हम इसी तरह पानी को पिएंगे। जब राजा ने गर्म पानी पिया तो उन्हें पीते ही ताजगी महसूस हुई। यहीं से चाय की खोज हुई थी। हालांकि चीन 2 सालों तक इस बात को कन्फ्यूजन में ले कर रहा है कि यह शरीर के लिए लाभदायक है या नहीं। इतिहास बताता है कि 15वीं शताब्दी में पुर्तगाली और फिर डच, फ्रांसीसी और ब्रिटिश व्यापारी चीन पहुंचे और अपने देशों में चाय लाए। इसका स्वाद इतना अनोखा था कि उस समय केवल शाही परिवार ही चाय पी सकता था, क्योंकि इसकी कीमत बहुत अधिक थी। चूंकि चाय चीन के अलावा और कहीं नहीं उगाई जाती थी, इसलिए चीनी व्यापारी चांदी और सोने के बदले यूरोपीय व्यापारियों को चाय देते थे।

भारत में चाय कैसे आया?

भारत में ब्रिटिश हुकूमत की दस्तक दे चुकी थी। पूरे देश पर अंग्रेजों का शासन चल रहा था। अंग्रेज सबसे पहले चाय चीन से लेते थे इसके बदले में चीन को अफीम अवैध रूप से देते थे आपको बता दें कि चीन में अफीम पूरी तरह से प्रतिबंधित था। जब चीन में अफीम को लेकर कड़े कानून बने तो अंग्रेजों के लिए चीन से चाय खरीदना मुश्किल भरा हो गया। इतिहासकार के मुताबिक चीन के मदद से भारत में चाय की खेती शुरू की गई। हालांकि कुछ इतिहासकारों के मुताबिक, असम में सबसे पहले टी गार्डन बनाया गया। ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजों ने आसाम में रहने वाले कुछ कबीले परिवारों को पेय पदार्थ पीते हुए देखा था। जिसका स्वाद और हावभाव पूरी तरह से चाय की तरह ही था। इसके बाद से अंग्रेजों ने 1837 में आसाम के चौबा क्षेत्रों में टी गार्डन यानी चाय की खेती शुरू कर दी।

वर्तमान में चाय की स्थिति क्या है?

हमारा देश चाय उत्पादक देशों में दूसरे नंबर पर आता है। चाय के जरिए देश में तकरीबन 3 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। वही देश में चाय के स्मालहोल्डिंग 157504 है। भारत में चाय की खेती मुख्य रूप से असम और बंगाल में होती है। यहां से चाय पूरी दुनिया में भेजे जाते हैं। हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया कि चाय बागान में काम करने वाले महिलाओं की स्थिति सही नहीं है उनके श्रमिक के बदले पैसे नहीं दिया जा रहा है। वही काम कर रही महिलाओं के साथ कई चुनौतियां भी होती है जिन्हें लेकर कई बार महिलाओं के द्वारा शिकायत किया गया लेकिन अब तक समाधान नहीं निकाला गया।

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