नई दिल्ली: दुनिया भर में आजकल हिंदी का जलवा बरकरार है। दुनिया के हर देश में अब हिंदी को लेकर हर कोई उत्सुक नजर आ रहा है। दुनिया की बड़ी से बड़ी यूनिवर्सिटीज में भी अब हिंदी को लेकर अलग-अलग विभाग खोले जा रहे हैं और हिंदी में शिक्षा दी जा रही है। कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो दुनिया भर में हिंदी लगातार आगे बढ़ती नजर आ रही है। वहीं अगर खुद के देश की बात करें तो यहां आज भी स्कूलों में अंग्रेजी को ही बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। ऐसे में हमें खुद के देश में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए क्या प्रयास करने चाहिए, इसपर विचार करना जरूरी हो गया है।
भारत के स्कूलों का इंग्लिश पर पूरा ध्यान
हमारे खुद के देश की बात करें तो यहां पर इंग्लिश को लेकर लोग बहुत ही ज्यादा चिंतित रहते हैं। बच्चों के दाखिले के समय से ही इंग्लिश सिखाने पर पूरा जोर दिया जाता है। देश भर में इंग्लिश मीडियम के स्कूलों की भरमार की वजह से भी ऐसा माहौल बन गया है। साथ ही इन स्कूलों में इंग्लिश को लेकर इस तरह से कंपटीशन है कि किस स्कूल के बच्चे कितनी ज्यादा इंग्लिश बोल लेते हैं। बच्चों पर इस भावना से इंग्लिश थोपने का निष्कर्ष ये निकल रहा है कि बच्चे अब अपनी खुद की बोली से दूर होते जा रहे हैं और अपने ही देश के स्कूलों में हिंदी अपेक्षित महसूस कर रही है।
दुनिया भर में आगे बढ़ रही हिंदी
वहीं अगर भारत से बाहर के देशों में हिंदी की बात करें तो हर क्षेत्र में हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है। हिंदी इस समय दुनिया की तीसरी और भारत की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है। हिंदी ना सिर्फ भारत में बल्कि फिजी और मॉरीशस जैसे कई अन्य देशों में भी प्रमुखता से बोली जाती है। आज दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटीज में हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इनमें वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, लंदन यूनिवर्सिटी, शिकागो यूनिवर्सिटी, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और टोक्यो यूनिवर्सिटी में भी हिंदी का दबदबा है। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र में भी हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने को लेकर सरकार द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।
इन प्रयासों से आगे बढ़ेगी हिंदी
भारत के स्कूलों को भी अब आंखें बंद करके इंग्लिश के पीछे भागने की जगह हिंदी में शिक्षा देने पर जोर देने की आवश्यकता है। भारत के स्कूलों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कुछ इस तरह के भी प्रयास किए जा सकते हैं-
- हिंदी से हमारा क्या लगाव है, बच्चों में इसकी भावना जागृत करना
- स्कूलों में बच्चों के बीच बोलचाल में हिंदी को बढ़ावा देना
- बच्चों के लिए हिंदी को ही प्राथमिक भाषा के रूप में बढ़ावा देना
- बच्चों की क्षमता के अनुसार ही उन्हें हिंदी के अतिरिक्त अन्य भाषाओं का ज्ञान देना
- हिंदी के साहित्य को लेकर बच्चों के बीच ज्ञान का सृजन करना
- हिंदी के विस्तृत व्याकरण और शब्दों के सटीक चयन की जानकारी देना
- बच्चों के खुद के हिंदी के प्रति विचारों को भी प्राथमिकता देना
- बच्चों के बीच हिंदी में ही तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित कराना
अगर इन सभी बिंदुओं का ध्यान बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के साथ ही दिया जाए तो इससे हिंदी के एक उज्जवल भविष्य की कामना को पूरा होना में ज्यादा समय नहीं लगेगा। इससे ना सिर्फ बच्चों का हिंदी के प्रति ज्ञानवर्धन होगा बल्कि बच्चे मानसिक और आत्मिक रूप से हिंदी के साथ जुड़ सकेंगे। इसके साथ ही देश की भाषा के प्रति बच्चों के मन इस तरह की सृजनात्मकता को अंकुरित करना भाषायी भेद को भी मिटाने में कारगर साबित होगी। कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि हिंदी ना सिर्फ एक भाषा है बल्कि यह भारत की आत्मा है। भारत की आत्मा को बचाने के लिए प्रारंभिक स्तर से ही प्रयास करने की आवश्यकता है।
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