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Hindi Diwas 2024: हिंदी के वो कवि और साहित्यकार, जो अपने लेखन से अमर हो गए

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को देशभर में मनाया जाता है। हिंदी देश को एक कोने से दूसरे कोने को जोड़ने का काम करती है। लेकिन इस भाषा की ख्याति के पीछे कई महान लेखनों, कवियों और साहित्यकारों का भी हाथ है।

Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published on: September 14, 2024 7:37 IST
Hindi Diwas 2024 Hindi poets and litterateurs who became immortal with their writings- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK हिंदी दिवस 2024

हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस को धूमधाम से मनाया जाता है। अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग संस्थाओं द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर खास तैयारियां की जाती हैं। भारत की करोड़ों आबादी को जोड़ने वाली भाषा हिंदी है, जो भाषा हिंदी भाषा के प्रति सम्मान और गर्व का प्रतीक है। लेकिन इस भाषा को बड़ा और महान बनाने में कई साहित्यकार, कवियों और लेखकों का बड़ा योगदान रहा है। मुंशी प्रेमचंद, रवींद्रनाथ टैगोर, शरतचंद चट्टोपाध्याय, रामधारी सिंह दिनकर, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला समेत कई महान कवियों और साहित्यकारों ने हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर ख्याति दिलाई है।

लेखक और उनकी बेहतरीन रचनाएं

  • रामधारी सिंह दिनकर- हिमालय, अरुणोदय, आग की भीख, वसंत के नाम, असमय आह्वान, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा।
  • महादेवी वर्मा-  नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, यामा और दीपशिखा।
  • सूर्यकांत त्रिपाठी निराला- परिमल, गीतिका, अनामिका, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, अणिमा, नए पत्ते, बेला, अर्चना, आराधना, गीतगुंज।
  • रविंद्रनाथ टैगोर- कालजयी रचना गीतांजलि।
  • मुंशी प्रेमचंद- सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान, कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा, ईदगाह।
  • भारतेंदु हरिश्चंद्र- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति, सत्य हरिश्चन्द्र, श्री चंद्रावली, विषस्य विषमौषधम्, भारत दुर्दशा, नीलदेवी, अंधेर नगरी।
  • सुमित्रानंदन पंत- ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम।
  • हरिवंश राय बच्चन- तेरा हार, मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, आत्म परिचय, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत, आकुल अंतर।
  • भीष्म साहनी- झरोखे, तमस, बसंती, मय्यादास की माडी़, कुन्तो, नीलू निलिमा नीलोफर, मेरी प्रिय कहानियां, भाग्यरेखा, वांगचू, निशाचर, हानूश, माधवी, कबिरा खड़ा बजार में, मुआवज़े। 

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