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Hindi Diwas 2022: हम 14 सितंबर को ही क्यों मनाते हैं हिंदी दिवस, जानिए इसका महत्व और इतिहास

Hindi Diwas 2022: हिंदी देवनागरी लिपि में लिखी गई एक इंडो-आर्यन भाषा है। जिसे साल 1949 में संविधान सभा ने भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर मान्यता दी थी। साथ ही इसे आधिकारिक भाषा भी घोषित किया। ये भारतीय गणराज्य की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है।

Written By: Shilpa
Published : Sep 14, 2022 7:41 IST, Updated : Sep 14, 2022 14:39 IST
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Image Source : INDIA TV Hindi Diwas

Highlights

  • हर साल 14 सितंबर को मनाते हैं हिंदी दिवस
  • व्यौहार राजेंद्र सिंह का होता है जन्मदिवस
  • 1949 से हर साल मनाया जाता है हिंदी दिवस

Hindi Diwas 2022: हिंदी उन भाषाओं में शुमार है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाती है। महात्मा गांधी ने कहा था कि हिंदी जनमानस की भाषा है और इसे देश की राष्ट्रभाषा बनाने की सिफारिश भी की थी। हिंदी को 14 सितंबर 1949 को राजभाषा का दर्जा दिया गया, लिहाजा इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान सभा ने देवनागरी लिपि वाली हिंदी के साथ ही अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया, लेकिन 1949 में आज ही के दिन संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया। हालांकि पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था। जिसके बाद से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 

हिंदी दिवस का दिन हिंदी भाषा के महत्व के बारे में बताता है और युवा पीढ़ी को इसका अधिक उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है। पूरी दुनिया के करीब 120 मिलियन लोग दूसरी भाषा के तौर पर हिंदी बोलते हैं और 420 मिलियन से अधिक लोग इसका अपनी मातृभाषा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।

आखिर क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस? 

हिंदी के महान साहित्यकार व्यौहार राजेंद्र सिंह के जन्मदिवस के दिन 14 सितंबर को ये दिन मनाया जाता है। इसी वजह से इस दिन को हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हिंदी को विशेष दर्जा दिलवाने में जिन्होंने अहम योगदान निभाया है, उनमें गोविंद दास, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर और मैथिलीशरण गुप्त जैसे लोग शामिल हैं। वहीं महात्मा गांधी ने भी साल 1918 में हिंदी साहित्य सम्मेलन के दौरान हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कहा था। वह हिंदी को जनमानस की भाषा मानते थे। राष्ट्रपति महात्मा गांधी का हिंदी से विशेष लगाव था। 

क्या है हिंदी दिवस का इतिहास?

हिंदी देवनागरी लिपि में लिखी गई एक इंडो-आर्यन भाषा है। जिसे साल 1949 में संविधान सभा ने भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर मान्यता दी थी। साथ ही इसे आधिकारिक भाषा भी घोषित किया। ये भारतीय गणराज्य की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1949 से हर साल हिंदी दिवस मनाने का फैसला लिया था। इस दिन देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यक्रमों का आयोजन किया दाता है।  

आपको बता दें, हिंदी दिवस तो 14 सितंबर को तो मनाया ही जाता है। इसके अलावा हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस भी मनाया जाता है। इसे 10 जनवरी, साल 1975 में नागपुर में आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। इसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। ये दिन पहली बार 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा पूरी दुनिया में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया गया था।

आखिर क्या है हिंदी दिवस का महत्व?

हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य को सम्मान देने के लिए हिंदी दिवस के मौके पर देशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस दिन मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, राष्ट्री बैंकों और नागरिकों को हिंदी भाषा में उनके अहम योगदान के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार जैसे पुरस्कार प्राप्त होते हैं। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू), विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, राष्ट्रीय बैंकों और व्यक्तियों को हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। 

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