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'जब तक मैं जिंदा हूं, असम में बाल विवाह होने नहीं दूंगा', विधानसभा में बोले सीएम हिमंत बिस्वा सरमा

असम सरकार ने राज्य में मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त कर दिया है। इस अधिनियम में मुस्लिम विवाह और तलाक के स्वैच्छिक पंजीकरण का प्रावधान था।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published on: February 26, 2024 13:06 IST
Assam, Himanta Biswa Sarma- India TV Hindi
Image Source : PTI/FILE असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा

असम में मुस्लिम विवाह और तलाक कानून के निरस्त होने के बाद राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। इस राजनीतिक घमासान की चिंगारी आज राज्य के विधानसभा में भी पहुंच गई। विपक्ष ने इस मुद्दे को सदन में उठाया। इस मामले में जबरदस्त हंगामा हुआ। इस बीच मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी तेश में आ गए। उन्होंने सदन में कहा कि जब तक मैं जिंदा हूं, राज्य में बालविवाह नहीं होने दूंगा।

इन दुकानों को पूरी तरह से बंद कराकर ही चैन लूंगा- सीएम

हिमंत ने कहा, "कुछ लोगों ने मुस्लिम बेटियों को बर्बाद करने और उनका शोषण करने की दुकान खोल रखी है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। मैं इन दुकानों को पूरी तरह से बंद कराकर ही चैन लूंगा।" उन्होंने कहा कि मेरी बात ध्यान से सुनो, जब तक मैं जीवित हूं मैं असम में बाल विवाह नहीं होने दूंगा। जब तक हिमंत बिस्वा सरमा जीवित हैं ऐसा नहीं होने दूंगा। मैं आपको राजनीतिक रूप से चुनौती देता हूं मैं इस दुकान को 2026 से पहले बंद कर दूंगा।"

पिछले दिनों रद्द किया गया कानून  

बता दें कि असम सरकार ने राज्य में मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त कर दिया है। इस अधिनियम में मुस्लिम विवाह और तलाक के स्वैच्छिक पंजीकरण का प्रावधान था और सरकार को एक मुस्लिम व्यक्ति को ऐसे पंजीकरण के लिए आवेदन पर मुस्लिम विवाह और तलाक को पंजीकृत करने के लिए अधिकृत करने वाला लाइसेंस प्रदान करना होता था। सरकार के इस कदम के बाद कहा जा रहा है कि वह जल्द ही यूसीसी के लिए भी कदम उठा सकती है।

अब मुस्लिम विवाह और तलाक को पंजीकृत करना संभव नहीं

असम सरकार के द्वारा निरस्त किए गए कानून के तहत मुस्लिम विवाह और तलाक को पंजीकृत करना संभव नहीं होगा। इस बारे में जानकारी देते हुए असम सरकार में मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने बताया कि हमारे पास पहले से ही एक विशेष विवाह अधिनियम है और हम चाहते हैं कि सभी विवाह इसके प्रावधानों के तहत पंजीकृत हों। उन्होंने कहा कि असम में वर्तमान में 94 अधिकृत व्यक्ति हैं जो मुस्लिम विवाह और तलाक का पंजीकरण कर सकते हैं। लेकिन कैबिनेट के फैसले के साथ, जिला अधिकारियों द्वारा इसके लिए निर्देश जारी करने के बाद उनका अधिकार समाप्त हो जाएगा। 

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