हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान व्हिप का उल्लंघन करने पर स्पीकर ने छह कांग्रेस विधायकों को अयोग्य करार दिया है। अब इन 6 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इन कांग्रेसी विधायकों ने स्पीकर के अयोग्य करार देने के फैसले को चुनौती दी है। स्पीकर ने विधानसभा में बजट के दौरान अनुपस्थित रहने के आधार पर इन विधायकों को अयोग्य करार दिया था। विधायकों ने स्पीकर के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। बागी विधायकों ने स्पीकर के फैसले को गलत ठहराते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।
कांग्रेस के बागी सुधीर शर्मा, राजिंदर राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, रवि ठाकुर, देवेंद्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। याचिका में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें उन्होंने इन सभी 6 कांग्रेस विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया है। विधानसभा स्पीकर ने यह फैसला बतौर ट्रिब्यूनल चेयरमैन सुनाया है।
अध्यक्ष को शिकायत दी गई थी
दल बदल कानून के तहत सदस्यता गंवाने वाले इन विधायकों ने खुद को अयोग्य करार दिए जाने वाले फैसले को चुनौती दी है। हिमाचल प्रदेश सरकार में संसदीय कार्य मंत्री और कांग्रेस विधायक दल के चीफ व्हिप हर्षवर्धन चौहान ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को एक शिकायत सौंपी थी। इस शिकायत में इन सभी 6 विधायकों के व्हिप जारी होने के बावजूद कटौती प्रस्ताव और बजट पारण के दौरान अनुपस्थित रहने की बात कही गई। इन विधायकों ने विधानसभा के अटेंडेंस रजिस्टर में अपनी हाजिरी तो लगाई, लेकिन यह सदन में उस समय मौजूद नहीं रहे। इसी पर फैसला सुनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने इन्हें अयोग्य करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट से राहत की उम्मीद
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य से अयोग्य घोषित हो चुके इन विधायकों का कहना है कि स्पीकर ने इन्हें अपना पक्ष रखने का समय नहीं दिया। इसके अलावा नोटिस भी सिर्फ एक ही विधायक को मिला, अन्य विधायकों को नोटिस भी नहीं दिया गया। विधायकों के वकील ने यह भी कहा कि स्पीकर ने इस तरह फैसला लिया कि मानो पिटीशन में लिखी गई हर बात सत्य हो। अब सुप्रीम कोर्ट से इन विधायकों को राहत की उम्मीद है। अगर इन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलती है, तो इन सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होंगे।
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