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Himachal Pradesh News: हिमाचल में अब सामूहिक धर्मांतरण पर होगी 10 साल की सजा, संशोधित कानून हुआ ध्वनिमत से पारित

Himachal Pradesh News: नए संशोधन विधेयक में मौजूदा धर्मांतरण रोधी कानून की सजा को 7 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। इसके साथ ही यदि कोई धर्म बदलना चाहता है तो उसे 1 महीने पहले नोटिस देना पड़ेगा।

Edited By: Pankaj Yadav @ThePankajY
Updated on: December 16, 2022 20:43 IST
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में संशोधित धर्मांतरण विधेयक पेश किया गया।- India TV Hindi
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में संशोधित धर्मांतरण विधेयक पेश किया गया।

Highlights

  • हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सामूहिक धर्मांतरण कानून में हुआ संशोधन
  • शिकायतों की जांच उप निरीक्षक से नीचे के दर्जे का कोई पुलिस अधिकारी नहीं करेगा

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मौजूदा धर्मांतरण रोधी कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया गया। जिसे विधानसभा में शनिवार को ध्वनिमत से पारित किया गया। इस विधेयक में मौजूदा कानून में सजा बढ़ाने और जबरन या लालच देकर ‘सामूहिक धर्मांतरण’ कराए जाने को रोकने का प्रावधान है। विधेयक में कारावास की सजा को सात साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल तक कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 शनिवार को ध्वनिमत से पारित हुआ। विधेयक में सामूहिक धर्मांतरण का उल्लेख है, जिसे एक ही समय में दो या दो से अधिक लोगों के धर्म परिवर्तन करने के रूप में वर्णित किया गया है। जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने शुक्रवार को विधेयक पेश किया था। संशोधन विधेयक में हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को और कठोर किया गया है, जो बमुश्किल 18 महीने पहले लागू हुआ था। 

15 महीने पहले विधानसभा में हो चुका था पारित

हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 को 21 दिसंबर 2020 को ही अधिसूचित किया गया था। इस संबंध में विधेयक 15 महीने पहले ही विधानसभा में पारित हो चुका था। साल 2019 के विधेयक को भी 2006 के एक कानून की जगह लेने के लिए लाया गया था, जिसमें कम सजा का प्रावधान था। नये संशोधन विधेयक में बलपूर्वक धर्मांतरण के लिए कारावास की सजा को सात साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल तक करने का प्रस्ताव है। विधेयक में प्रावधान प्रस्तावित है कि कानून के तहत की गयी शिकायतों की जांच उप निरीक्षक से नीचे के दर्जे का कोई पुलिस अधिकारी नहीं करेगा। इस मामले में मुकदमा सत्र अदालत में चलेगा। सत्तारूढ़ भाजपा धर्मांतरण-रोधी कानून की मुखर समर्थक रही है और पार्टी द्वारा शासित कई राज्यों ने इसी तरह के कानून पेश किए हैं। यह कदम इस साल के अंत में हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सामने आया है।

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