हिमाचल प्रदेश में पिछले एक महीने से चल रहे सीमेंट प्लांट विवाद के बीच आज हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने सीमेंट कंपनियों के प्रबंधकों और ट्रक आपरेटरों के साथ बैठक की। प्रदेश सचिवालय में चल रही इस बैठक में सीमेंट कंपनियों के प्रबंधक और ट्रक यूनियनों के सदस्यों सहित उद्योग परिवहन और राज्य आपूर्ति निगम के अधिकारी भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
एक महीने से सीमेंट कंपनियों और ट्रक यूनियनों के बीच बना हुआ है गतिरोध
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने सीमेंट उद्योग की माल ढुलाई दरों में कमी की मांग के बाद ट्रांसपोर्टरों द्वारा ट्रकों को चलाने से रोके जाने के बाद करीब 35 दिनों के गतिरोध को सुलझाने के लिए सीमेंट कंपनी प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटर यूनियनों के साथ यह बैठक की। करीब साढे 4 घंटे तक चली इस बैठक में सरकार किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। ट्रक यूनियन से भी मंत्री ने सहयोग मांगा । मंत्री ने उम्मीद जताते हुए कहा है कि जल्द दोनों पक्षों के बीच सहमति बना ली जाएगी।
सीमेंट कंपनियों ने बैठक में सुझाए तीन अहम उपाय
सूत्रों के अनुसार सीमेंट कंपनियों ने गतिरोध को हल करने के लिए कुछ उपायों से जुड़ा प्रपोजल दिया है। इनमें पहला, माल ढुलाई की गणना के लिए हर साल निश्चित किलोमीटर तय करना। ये 3 साल की अवधि के लिए होगा। इसमें पहले साल के लिए 40 हजार किमी, दूसरे साल के लिए 45 हजार किमी और तीसरे साल के लिए 50 हजार किमी की दूरी तय रहेगी।
दूसरा सुझाव यह दिया गया कि तीन साल की समय सीमा के भीतर अतिरिक्त ट्रकों की जो संख्या है उसे कम करना। तीसरा सुझाव यह दिया गया कि नए ट्रकों को माल ढुलाई के लिए लगाने पर तत्काल रोक लगाना। दरलाघाट और बरमाणा में 3 हजार से अधिक छोटे ट्रक हैं, इसकी तुलना में सीमेंट कंपनियों को मल्टी-एक्सल ट्रकों की कम संख्या की आवश्यकता होती है।
सीमेंट कंपनियों ने कहा 'हमें दिए जाएं ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े निर्णय के अधिकार'
सूत्रों ने यह भी बताया कि सीमेंट कंपनियों ने राज्य सरकार से कहा है कि अन्य राज्यों की तरह ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े सभी निर्णय कंपनियों द्वारा तय किए जाने चाहिए। इसके अलावा, ट्रकों की कैपिसिटी और परिवहन आवश्यकताओं के अनुसार तय करने के लिए कंपनियों पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
बैठक में सीमेंट कंपनियों ने हिमाचल के विकास के लिए प्रतिबद्धता जताई
बैठक में सीमेंट कंपनियों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए वे प्रतिबद्ध हैं। लेकिन ट्रक यूनियनों पर आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश में ट्रांसपोर्टेशन का मार्केट पर ट्रक यूनियनों का पूरी तरह से कंट्रोल है। ये ट्रक यूनियन न सिर्फ माल की दरें तय करते हैं, बल्कि ट्रकों की तैनाती कब कहां होगी। ट्रांसपोर्टेशन का माल और कहां जाना है, यह भी ट्रक यूनियन के लोग ही तय करते हैं।
ट्रकों की संख्या डिमांड से तीन गुना अधिक
सीमेंट इंडस्ट्री के सूत्रों ने कहा कि चूंकि ट्रक यूनियनों द्वारा माल ढुलाई की दर को निर्धारित या कंट्रोल किया जाता है, इस कारण डिमांड और सप्लाई में बड़ा अंतर रहता है। हिमाचल प्रदेश में ट्रकों की संख्या वर्तमान में वास्तविक मांग से तीन गुना अधिक है। इस अधिक भार के कारण हिमाचल प्रदेश में ट्रकों द्वारा तय की जाने वाली किलोमीटर-दूरी राष्ट्रीय औसत का केवल एक-चौथाई है। सीमेंट कंपनियों का कहना है कि ढुलाई के रेट ज्यादा हैं, वह इसे वहन नहीं कर सकते। इसे सीमेंट उत्पादन की लागत बढ़ती है और कंपनी को नुकसान उठाना पड़ता है।