Saturday, December 21, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Hijab Row: "सिर ढकने पर आपत्ति क्यों?, हिजाब पहनने वाली महिलाओं को गरिमा के साथ देखा जाना चाहिए"

Hijab Row: "सिर ढकने पर आपत्ति क्यों?, हिजाब पहनने वाली महिलाओं को गरिमा के साथ देखा जाना चाहिए"

Hijab Row: वरिष्ठ अधिवक्ता युसूफ मुछला ने कहा कि हिजाब पहनने वाली महिलाओं को कैरिकेचर के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और उन्हें गरिमा के साथ देखा जाना चाहिए।

Edited By: Malaika Imam
Published : Sep 12, 2022 23:41 IST, Updated : Sep 12, 2022 23:41 IST
Hijab Row
Image Source : FILE PHOTO Hijab Row

Highlights

  • 'हिजाब में महिलाओं को व्यंगचित्र के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए'
  • 'वे मजबूत इरादों वाली महिलाएं हैं, कोई अपना फैसला नहीं थोप सकता'
  • 'सवाल धार्मिक संप्रदाय के बारे में नहीं, व्यक्ति के मौलिक अधिकार का है'

Hijab Row: हिजाब पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हिजाब पहनने वाली महिलाओं को व्यंगचित्र (कैरिकेचर) के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और जब पगड़ी पहनने पर आपत्ति नहीं होती है, तब इस सिर ढकने पर आपत्ति क्यों? कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता युसूफ मुछला ने कहा कि हिजाब पहनने वाली महिलाओं को कैरिकेचर के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और उन्हें गरिमा के साथ देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे मजबूत इरादों वाली महिलाएं हैं और कोई भी उन पर अपना फैसला नहीं थोप सकता।

'ये छोटी बच्चियां क्या गुनाह कर रही हैं?'

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने सवाल किया कि यदि उनका मुख्य तर्क यह है कि यह एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है, तो मुछला ने कहा कि उनका तर्क यह है कि यह अनुच्छेद 25(1)(ए), 19(1)(ए) और 21 के तहत उनका अधिकार है। इन अधिकारों के संयुक्त पढ़ने पर उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। "ये छोटी बच्चियां क्या गुनाह कर रही हैं? सिर पर कपड़े का टुकड़ा रखकर?" उन्होंने कहा कि अगर पगड़ी पहनने पर आपत्ति नहीं है और यह दशार्ता है कि विविधता के लिए सहिष्णुता है, तो हिजाब पर आपत्ति क्यों। मुछला ने कहा कि दो अधिकार दिए गए हैं - धर्म की स्वतंत्रता और अंतरात्मा की स्वतंत्रता - और वे एक-दूसरे के पूरक हैं।

पीठ का जवाब, हमारे पास कोई विकल्प नहीं था

पीठ ने जवाब दिया कि उसके पास कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने इसे आवश्यक धार्मिक अभ्यास होने का दावा किया था। मुछला ने कहा कि हिजाब एक मौलिक अधिकार है या नहीं, यह यहां लागू होता है और यहां सवाल धार्मिक संप्रदाय के बारे में नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के मौलिक अधिकार के बारे में है।

Representative Image

Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE
Representative Image

इसे धर्म, अंतरात्मा और संस्कृति के रूप में देखा जा सकता है- सलमान खुर्शीद

कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने प्रस्तुत किया कि कोई एक निर्धारित यूनिफॉर्म पहनेगा, लेकिन सवाल यह है कि क्या कोई व्यक्ति कुछ और पहन सकता है जो उसकी संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है। जैसा कि पीठ ने खुर्शीद से पूछा कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा के बारे में उनका क्या विचार है, उन्होंने कहा कि इसे धर्म, अंतरात्मा और संस्कृति के रूप में देखा जा सकता है और इसे व्यक्तिगत गरिमा और गोपनीयता के रूप में भी देखा जा सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि वह यह नहीं कहेंगे कि यूनिफार्म को छोड़ दिया जाना चाहिए, लेकिन यूनिफार्म के अलावा कुछ और है जिसकी अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने प्रस्तुत किया कि विविधता में एकता का विचार मिश्रित संस्कृति के संरक्षण से आता है और कहा कि उनकी एक क्लाइंट एक सिख महिला है, क्योंकि उनमें से कुछ ने पगड़ी पहनना शुरू कर दिया है, उनके लिए भी यह मुद्दा उठ सकता है। खुर्शीद ने चित्रों के माध्यम से बुर्का, हिजाब और जिलबाब के बीच भी अंतर किया और सांस्कृतिक पहचान के महत्व पर जोर दिया।

'जब आप गुरुद्वारे जाते हैं, तो लोग हमेशा अपना सिर ढक लेते हैं, यह संस्कृति है'

"घूंघट को यूपी या उत्तर भारत में बहुत जरूरी माना जाता है। जब आप गुरुद्वारे जाते हैं, तो लोग हमेशा अपना सिर ढक लेते हैं। यह संस्कृति है।" उन्होंने आगे कहा कि कुछ देशों में मस्जिदों में लोग अपना सिर नहीं ढकते हैं, लेकिन भारत में लोग सिर ढकते हैं, और यही संस्कृति है। विस्तृत दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को निर्धारित की। शीर्ष अदालत कर्नाटक हाई कोर्ट के 15 मार्च के फैसले के खिलाफ चौथे दिन सुनवाई कर रही है जिसमें प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखा गया है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement