Friday, November 22, 2024
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Hijab Controversy: Supreme Court ने तत्काल सुनवाई करने से किया इनकार, सनसनी न फैलाने की दी दियाहत

प्रधान न्यायाधीश एन.वी.रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की एक पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत के अनुरोध को खारिज कर दिया। कामत ने कहा था कि परीक्षाएं चल रही हैं, इसलिए मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 24, 2022 13:08 IST
हिजाब विवाद पर तत्काल सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार (प्रतीकात्मक फोटो)- India TV Hindi
Image Source : PTI हिजाब विवाद पर तत्काल सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार (प्रतीकात्मक फोटो)

Highlights

  • सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से किया इनकार
  • CJI के समक्ष मामले को तत्काल सुनवाई के लिए रखा गया था
  • कर्नाटक में इस विवाद की शुरुआत जनवरी महीने में हुई थी

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। जिसमें अदालत ने कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। साथ ही कहा था कि हिजाब इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। प्रधान न्यायाधीश एन.वी.रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की एक पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत के अनुरोध को खारिज कर दिया। कामत ने कहा था कि परीक्षाएं चल रही हैं, इसलिए मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘ परीक्षाओं का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।’’

कोर्ट ने अनुरोध किया अस्वीकार

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे बार-बार मामले का जिक्र कर रहे हैं। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘ सॉलिसिटर जनरल जी, क्या आप इंतजार कर सकते हैं।’’ वहीं, उसने कामत से कहा कि मामले को संवेदनशील ना बनाएं। कामत ने कहा, ‘‘ इन लड़कियों की 28 तारीख को परीक्षा है। उन्हें स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा। उनका एक साल बर्बाद हो जाएगा।’’ न्यायालय ने हालांकि उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। उच्चतम न्यायालय कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने से इनकार करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर होली के अवकाश के बाद सुनवाई करने के लिए 16 मार्च को सहमत हो गया था।

तत्काल सुनवाई से किया इनकार

न्यायालय ने कुछ छात्राओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े की उन दलीलों पर गौर किया था कि आगामी परीक्षाओं को देखते हुए तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है। मामले में उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ के आदेश के खिलाफ कुछ याचिकाएं दायर की गयी हैं। उच्च न्यायालय ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है। उच्च न्यायालय ने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। उसने कहा था कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं।

क्या है पूरा मामला?

कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरुआत जनवरी महीने में उस समय हुई जब उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनीं 6 छात्राओं को कॉलेज प्रशासन ने क्लास में  प्रवेश की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। छात्राओं को क्लास में प्रवेश नहीं दिए जाने के पीछे कॉलेज प्रशासन ड्रेस कोड का हवाला दिया था। जिसके बाद हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश की मांग करने वाली छात्राओं ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें छात्राओं ने कॉलेज के फैसले को संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन बताया था। कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने के बाद केस को 9 फरवरी को बड़ी बेंच के पास भेजा था। बड़ी बेंच ने 11 दिनों तक चली सुनवाई के बाद राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि हिजाब इस्लामिक मान्यता में अनिवार्य नहीं है। जिसके बाद छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।

(इनपुट भाषा) 

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