Highlights
- सरकार ने कहा कि अगर किसी की इच्छा हिजाब पहनने की है, तो 'संस्थागत अनुशासन के बीच' कोई प्रतिबंध नहीं है।
- नवदगी ने कहा कि वर्तमान मामले में संस्थागत प्रतिबंध केवल शिक्षण संस्थानों के अंदर है और कहीं नहीं है।
- याचिकाकर्ताओं ने हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को हाई कोर्ट में कहा कि संस्थागत अनुशासन के तहत उचित प्रतिबंधों के साथ भारत में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इसके साथ ही सरकार ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देना संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है, जिसके तहत हर तरह के भेदभाव पर प्रतिबंध है। साथ ही सरकार ने कहा कि अगर किसी की इच्छा हिजाब पहनने की है, तो 'संस्थागत अनुशासन के बीच' कोई प्रतिबंध नहीं है।
‘अगर किसी की इच्छा हिजाब पहनने की है तो...’
शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली उडुपी जिले की याचिकाकर्ता मुस्लिम लड़कियों की दलीलों का प्रतिवाद करते हुए कर्नाटक के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि हिजाब पहनने का अधिकार अनुच्छेद 19 (1) (ए) की श्रेणी में आता है, न कि अनुच्छेद 25 के तहत, जैसा याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है। नवदगी ने कर्नाटक हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ से कहा, ‘हिजाब पहनने का अधिकार अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत आता है, न कि अनुच्छेद 25 के तहत। अगर किसी की इच्छा हिजाब पहनने की है, तो 'संस्थागत अनुशासन के बीच' कोई प्रतिबंध नहीं है।’
‘संस्थागत प्रतिबंध केवल शिक्षण संस्थानों के अंदर’
कर्नाटक सरकार ने कहा, ‘अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत दावा किए गए अधिकार अनुच्छेद 19 (2) से संबंधित हैं, जहां सरकार संस्थागत प्रतिबंध के अधीन उचित प्रतिबंध लगाती है।’ चीफ जस्टिस ऋतु राज अवस्थी, जस्टिस जे. एम. खाजी और जस्टिस कृष्णा एम. दीक्षित की पूर्ण पीठ कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। नवदगी ने कहा कि वर्तमान मामले में संस्थागत प्रतिबंध केवल शिक्षण संस्थानों के अंदर है और कहीं नहीं है।
‘…आपको समुदाय से निष्कासित कर दिया जाएगा’
नवदगी ने कहा, ‘हिजाब को एक आवश्यक धार्मिक प्रथा के रूप में घोषित करने की मांग का परिणाम बहुत बड़ा है, क्योंकि इसमें बाध्यता का तत्व है या फिर आपको समुदाय से निष्कासित कर दिया जाएगा।’ संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है। महाधिवक्ता ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देना संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। नवदगी ने दलील दी, ‘कोई भेदभाव नहीं है। जैसा अनुच्छेद 15 के तहत दावा किया गया है, ये आरोप बेबुनियाद हैं।’
नवदगी ने कहा कि महिलाओं की गरिमा सर्वोपरि
अनुच्छेद 15 के तहत धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक है। नवदगी ने कहा कि महिलाओं की गरिमा सर्वोपरि है। उन्होंने 1967 की हिंदी फिल्म ‘हमराज़’ के प्रसिद्ध गीत 'न मुंह छुपा के जियो, न सर झुका के जियो' का जिक्र करते अपनी दलीलें पूरी की। इस गाने को साहिर लुधियानवी ने लिखा था और महेंद्र कपूर ने स्वर दिया था। इस बीच, बेंच ने कहा कि वह हिजाब से संबंधित मामले का इसी हफ्ते निस्तारण करना चाहती है। इसके साथ ही कोर्ट ने इससे जुड़े सभी पक्षों से सहयोग देने की अपील की।
‘इस मामले को खत्म करने के लिए सभी प्रयास करें’
कोर्ट की कार्यवाही शुरू होते ही याचिकाकर्ता लड़कियों की ओर से पेश एक वकील ने हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ से उन मुस्लिम लड़कियों को कुछ छूट देने का अनुरोध किया, जो हिजाब पहनकर स्कूलों और कॉलेजों में उपस्थित होना चाहती हैं। याचिकाकर्ताओं ने हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने कहा, ‘हम इस मामले को इसी सप्ताह खत्म करना चाहते हैं। इस सप्ताह के अंत तक इस मामले को खत्म करने के लिए सभी प्रयास करें।’