Highlights
- हाई कोर्ट ने हिजाब मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि देश भावनाओं और जुनून से नहीं कानून और संविधान से चलेगा।
- MGM कॉलेज के कर्मचारियों ने गेट पर ताला लगा दिया, जबकि छात्रों के दोनों समूह गेट के पास इंतजार कर रहे थे।
- कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने के अधिकार पर मुस्लिम लड़कियों का समर्थन किया है।
बेंगलुरु: कर्नाटक के सरकारी शिक्षण संस्थानों में छात्राओं के हिजाब (Karnataka Hijab Row) पहनने पर बैन का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। उडुपी (Udupi Hijab Row) के सरकारी पीयू महिला कॉलेज से शुरू हुए हिजाब के मामले में (Karnataka Hijab Row) कर्नाटक हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान राज्य में कई जगहों से बवाल की खबरें सामने आई हैं। हिजाब पहनने के पक्ष और विरोध में तेज होते प्रदर्शनों (Violent Protest over Hijab) के बीच राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है। हालात को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज भी करना पड़ा है।
बता दें कि हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान (Karnataka HC Hijab Hearing) कड़ी टिप्पणी की है। कर्नाट में हिजाब और भगवा शॉल पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच अदालत ने कहा (High Court on Hijab) है कि भावनाओं और जुनून से नहीं कानून और संविधान से देश चलेगा। हाई कोर्ट ने कहा कि संविधान ही हमारे लिए भगवद्गीता है। हिजाब मामले (Hijab Dispute of Karnataka) की सुनवाई कर्नाटक की 6 छात्राओं की ओर से दायर की गई याचिका पर हो रही है। कर्नाटक हाई कोर्ट इस मामले में बुधवार को फिर से सुनवाई करेगा।
MGM कॉलेज में जमकर हुई नारेबाजी
एक तरफ तो मामले की कोर्ट में सुनवाई होनी थी और दूसरी तरफ उडुपी जिले के मणिपाल स्थित MGM कॉलेज में मंगलवार को उस समय तनाव काफी बढ़ गया जब भगवा शॉल ओढ़े विद्यार्थियों और हिजाब पहनी छात्राओं के 2 समूहों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की। बुर्का और हिजाब पहनीं कॉलेज की छात्राओं के एक समूह ने कॉलेज परिसर में प्रवेश किया और सिर पर स्कार्फ़ पहनने के अधिकार के समर्थन में नारे लगाते हुए परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। इसी बीच, भगवा शॉल पहने कुछ लड़के-लड़कियां भी कॉलेज पहुंचे और दूसरे समूह के खिलाफ नारेबाजी की।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कॉलेज के कर्मचारियों ने गेट पर ताला लगा दिया, जबकि छात्रों के दोनों समूह गेट के पास इंतजार कर रहे थे। कॉलेज के प्राचार्य देवीदास नायक और शिक्षकों ने छात्रों को समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों पक्षों ने मानने से इनकार कर दिया। मौके पर भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद हैं। छात्र समूह 'हमें न्याय चाहिए' और 'वंदे मातरम' के नारे लगा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक कॉलेज प्रबंधन ने इस मामले को लेकर जिला प्रशासन से बातचीत की।
हिजाब संवैधानिक अधिकार: अजमेर दरगाह
अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख एवं दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने सोमवार को कहा कि हिजाब मुस्लिम महिलाओं का संवैधानिक एवं धार्मिक अधिकार है इस पर किसी प्रकार से रोक लगाना महिलाओं के संवैधानिक अधिकार को बाधित करना होगा। कर्नाटक के कॉलेज में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हिजाब पहनना मुस्लिम महिलाओं का धार्मिक एवं संवैधनिक अधिकार है।
खान ने कहा कि इसमें किसी प्रकार की रोक नहीं लगानी चाहिए क्योंकि सभी धर्मों के छात्रों को अपने अपने धर्मों के प्रतीक इस्तेमाल करने की पूरी स्वतंत्रता है तो कॉलेज परिसर में हिजाब पहनकर आने पर पाबंदी लगाना न सिर्फ संवैधनिक अधिकार को चुनौती देना है बल्कि देश में सांप्रदायिक माहौल तैयार करना है।
जानें, क्या बोले लखनऊ के मुस्लिम धर्मगुरु
मुस्लिम धर्मगुरुओं के एक संगठन ने कर्नाटक के सरकारी स्कूलों में छात्राओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को लोकतांत्रिक मूल्यों और अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन क़रार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद ने सोमवार को लखनऊ एक बयान जारी कर कर्नाटक सरकार के इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की और इसे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन क़रार दिया।
संगठन के महासचिव मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नकवी तथा अन्य सदस्य धर्म गुरुओं द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि कर्नाटक सरकार ने जिस तरह से छात्राओं के हिजाब पहनकर शिक्षण संस्थानों में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाया है वह निंदनीय है। यह विवाद एक महीने से अधिक समय से चल रहा है लेकिन राज्य और केंद्र सरकार द्वारा कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है। नकवी ने कहा कि हिजाब शिक्षा हासिल करने में बाधा नहीं बनता। इसके अनगिनत उदाहरण भारत और दुनिया भर में मौजूद हैं।
सच तो यह है कि हिजाब पर प्रतिबंध लगाकर एक धर्म विशेष को निशाना बनाया जा रहा है ताकि भगवा मंसूबे को अंजाम दिया जा सके। बयान में मांग की गई है कि कर्नाटक सरकार हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले को वापस ले और इस तरह के अनावश्यक मुद्दे उठाने के बजाय देश की तरक्की, खुशहाली और अंतर्धार्मिक सद्भाव के लिए काम किया जाये।
क्या रहा है है कर्नाटक सरकार का रुख?
बता दें कि इससे पहले ‘हिजाब’ पहनने पर मचे बवाल पर दायर याचिका पर कर्नाटक हाई कोर्ट में हुई सुनवाई से पहले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सोमवार को सभी से शांति बनाए रखने की अपील की थी और कहा था कि उनकी सरकार अदालत के आदेश के बाद कदम उठाएगी। बोम्मई ने सभी शैक्षणिक संस्थानों से, यूनिफार्म को लेकर सरकार के नियमों का पालन करने को कहा है जब तक कि कोर्ट का आदेश नहीं जा जाता। उन्होंने कहा था कि सभी को (यूनिफॉर्म पर) राज्य सरकार के आदेश का पालन करना चाहिए और कल अदालत का फैसला आएगा और उसके अनुसार हम कदम उठाएंगे।
कांग्रेस ने किया हिजाब का समर्थन
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने सोमवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी राज्य में हिजाब के मुद्दे पर छात्रों और लोगों में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने मंगलुरु के एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी अपने गठन के बाद से ही इस रास्ते पर चल रही है। उन्होंने कहा देश कठिन समय का सामना कर रहा है और कांग्रेस को मजबूत कर राष्ट्र का पुनर्निर्माण करने की तत्काल आवश्यकता है।
वहीं, कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने के अधिकार पर मुस्लिम लड़कियों का समर्थन किया है। उन्होंने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हिजाब के नाम पर पूरे राज्य में सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि संघ परिवार का मुख्य एजेंडा हिजाब के नाम पर मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना है।
सिद्धरमैया ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के बारे में बोलते हैं। क्या उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है? संविधान ने किसी भी धर्म को मानने का अधिकार दिया है, जिसका अर्थ है कि कोई भी अपने धर्म के अनुसार कोई भी कपड़े पहन सकता है।’ सिद्धरमैया ने कहा कि हिजाब पहनने वाली छात्राओं को स्कूल में प्रवेश करने से रोकना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
चाकू दिखाने के आरोप में 2 हुए थे गिरफ्तार
उडुपी के कुंडापुर में छात्रों द्वारा हिजाब और भगवा शॉल प्रदर्शन के दौरान चाकू दिखाने के आरोप में 2 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि सूचना मिली थी कि शुक्रवार को सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के उद्देश्य से घटनास्थल पर पांच लोग पहुंचे हैं, जिसके आधार पर सरकारी कॉलेज के पास आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों की पहचान अब्दुल मजीद (32) और रजब (41) के रूप में की गई है जो कुंडापुर तालुका के गंगोली निवासी हैं। पुलिस इस मामले में अन्य 3 संदिग्धों की तलाश कर रही है।