Highlights
- सोशल मीडिया के जरिए मिली जान से मारन की धमकी
- पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर शुरू की जांच
- हिजाब विवाद पर फैसला सुनाने वाले तीनों जजों को दी गई Y कैटेगरी की सुरक्षा
दिल्लीः कर्नाटक हिजाब मामले में फैसला सुनाने वाले जज को जान से मारने की धमकी मिली है। इनमें हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी का नाम भी शामिल है। दरअसल, कर्नाटक हाईकोर्ट के वकील उमापति को सोशल मीडिया पर एक वीडिया मिला है। जिसमें एक व्यक्ति कहता सुनाई दे रहा है कि- हम जानते हैं कि चीफ जस्टिस मॉर्निंग वॉक के लिए कहां जाते हैं। इसके तुरंत बाद ही वकील ने रजिस्ट्रार को चिट्ठी लिखकर इसकी जानकारी दी। जिसके बाद पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने जजों को तुरंत Y कैटेगरी की सुरक्षा देने की घोषणा की है। स्वयं सीएम ने इस बात का ऐलान किया है। साथ ही उन्होंने आईजी को जजों को मिल रही धमकी के मामले की जांच करने के निर्देश भी दे दिए हैं।
तमिल भाषा में भेजा गया वीडियो
वकील उमापति ने रजिस्ट्रार को लिखी चिट्ठी में बताया कि उन्हें सुबह करीब पौने दस बजे व्हॉट्सएप पर एक वीडियो मिला। यह वीडियो तमिल भाषा में है। वीडियो में हिजाब विवाद पर फैसला सुनाने वाले जजों और कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की हत्या करने की बात कही गई है। वीडियो में आरोपी ये कहकर धमकी दे रहा है कि लोगों को पता है कि चीफ जस्टिस मॉर्निंग वॉक के लिए किस समय और कहां जाते हैं। इसके अलावा हिजाब विवाद पर फैसला सुनाने वाले बाकी दो जजों को भी लगातार धमकियां मिल रही है। साथ ही वीडियो के बैकग्राउंड में स्पीकर से झारखंड में हुई जज की हत्या के बारे में बताया जा रहा है।
ऑटोरिक्शा से जज की हत्या हुई थी
गौरतलब है कि झारखंड में पिछले साल एक ऑटोरिक्शा से जज की हत्या करने का मामला सामने आया था। जिसका एक वीडियो उस समय सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुआ था। बाद में इस घटना की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
हाईकोर्ट ने हिजाब विवाद पर सुनाया था फैसला
गौरतलब है कि कर्नाटक हिजाब विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने सभी 8 याचिकाओं को खारिज कर दिया था। चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित और जस्टिस खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन की तीन सदसीय वाली बेंच ने राज्य सरकार के 5 फरवरी को दिए गए आदेश को भी निरस्त करने से इनकार कर दिया था। जिसमें स्कूलों में यूनिफॉर्म को आवश्यक बताया था।