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हिजाब पर कर्नाटक उच्च न्यायालय का फैसला ‘निराशाजनक’: छात्राएं

16 मार्च छात्र कार्यकर्ताओं ने हिजाब पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को बुधवार को ‘निराशाजनक’ बताते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों की वर्दी में सामाजिक और धार्मिक प्रथाएं समाहित होनी चाहिए।

Reported by: Bhasha
Published on: March 16, 2022 18:27 IST
HIJAB STUDENTS - India TV Hindi
HIJAB STUDENTS 

Highlights

  • छात्र कार्यकर्ताओं ने हिजाब पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को निराशाजनक बताया
  • शिक्षण संस्थानों की वर्दी में सामाजिक और धार्मिक प्रथाएं समाहित होनी चाहिए।
  • हिजाब के मुद्दे को लेकर वर्दी संस्कृति पर स्वस्थ चर्चा शुरू करनी चाहिए

 नयी दिल्ली ::16 मार्च छात्र कार्यकर्ताओं ने हिजाब पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को बुधवार को ‘निराशाजनक’ बताते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों की वर्दी में सामाजिक और धार्मिक प्रथाएं समाहित होनी चाहिए। उच्च न्यायालय ने 129 पन्नों के आदेश में कहा कि हिजाब इस्लाम में जरूरी धार्मिक प्रथा नहीं है और परिसर में शांति, सद्भभावना एवं लोक व्यवस्था को बाधित करने वाले किसी भी तरह के कपड़े पर रोक लगाने के कर्नाटक सरकार के आदेश को बरकरार रखा। 

राष्ट्रीय राजधानी में एक प्रेस वार्ता में कई मुस्लिम छात्राओं और कार्यकर्ताओं ने अदालत के फैसले पर बात की और अपनी मांगों को रखा। 

छात्र कार्यकर्ता हुमा मसीह ने कहा कि हिजाब को वर्दी पर एक स्वस्थ बहस शुरू करनी चाहिए थी कि क्या ये समावेशी है? उन्होंने कहा, “ हिजाब के मुद्दे को लेकर वर्दी संस्कृति पर स्वस्थ चर्चा शुरू करनी चाहिए थी। इस पर चर्चा शुरू करनी चाहिए थी कि क्या वर्दी समावेशी और लोकतांत्रिक है या नहीं, लेकिन कोई भी इसपर बात नहीं कर रहा है।

” जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा सिमरा अंसारी ने आरोप लगाया कि कुछ लोग चाहते हैं कि मुस्लिम महिलाएं शिक्षा हासिल नहीं करें और वे उन्हें शिक्षा और अपनी पहचान के बीच किसी एक को चुनने को मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “जब भी मुस्लिम महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में बात करने के लिए आगे आई हैं, तो कुछ खास विचारधारा के लोगों को इससे मसला हुआ है। यह मुस्लिम महिलाओं को अपनी पढ़ाई और पहचान के बीच चयन करने के लिए मजबूर कर शिक्षा हासिल करने से रोकने का एक व्यवस्थित तरीका है।

”अंसारी ने कहा, “मैं कहना चाहती हूं कि हम शिक्षा लेने के अपने अधिकार को हासिल करेंगे और अपनी पहचान भी बनाए रखेंगे। हम किसी एक को नहीं चुनेंगे।” उन्होंने कहा, “इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहनकर अगर किसी बैंक या किसी सार्वजनिक स्थान पर जाएंगी, तो उन्हें नैतिक पुलिसिंग का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगर उनके साथ कोई अप्रिय घटना होती है तो कौन जिम्मेदार होगा? केंद्र सरकार 'बेटी बचाओ' की बात करती है लेकिन राज्य सरकार इसके खिलाफ जाती है।

 

”वक्ताओं ने कहा कि वर्दी में भारत जैसे विविध देश में धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वालों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं। 

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